
Up Kiran, Digital Desk: महाराष्ट्र की राजनीति में मराठा आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर गरमाया हुआ है। सालों से चल रहे इस आंदोलन पर एक बड़ा अपडेट आया है। महाराष्ट्र सरकार ने 'कुनबी' जाति के प्रमाणों को खोजने वाली उस कमेटी की समय सीमा बढ़ा दी है, जिसे पहले 31 दिसंबर 2024 तक अपना काम पूरा करना था। अब इस कमेटी को अपना काम करने के लिए 30 जून 2026 तक का समय मिल गया है। लेकिन, सरकार के इस फैसले का आखिर मतलब क्या है?
क्या काम है इस कमेटी का और क्यों बढ़ाई मियाद?
यह कमेटी मराठा समुदाय के उन दस्तावेज़ों और पुराने रिकॉर्ड्स को खंगाल रही है, जिनसे यह साबित हो सके कि मराठा समुदाय के लोग 'कुनबी' समुदाय से संबंध रखते हैं। 'कुनबी' महाराष्ट्र में पहले से ही अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणी में आते हैं। अगर यह कमेटी ज़्यादा मराठा परिवारों को कुनबी होने का प्रमाण दे देती है, तो उन्हें ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण मिल सकता है, बिना मौजूदा ओबीसी आरक्षण को छेड़े।
सरकार ने इस कमेटी की मियाद इसलिए बढ़ाई है, क्योंकि दस्तावेज़ों को खोजने का काम बहुत बड़ा और पेचीदा है। ऊपर से, आने वाले समय में लोकसभा और विधानसभा चुनाव भी होने हैं, जिसकी वजह से काम में रुकावट आ सकती थी। इसलिए, कमेटी ने और समय मांगा था, जिसे सरकार ने मान लिया।
आंदोलनकारियों का क्या रुख:मराठा आरक्षण के बड़े चेहरे मनोज जरांगे ने पहले कहा था कि अगर सरकार कुनबी प्रमाण-पत्र के आधार पर आरक्षण देती है तो उन्हें यह मंज़ूर होगा। सरकार का यह कदम कहीं न कहीं जरांगे की मांगों के जवाब में ही देखा जा रहा है। सरकार यह संदेश देना चाहती है कि वह इस मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से और संवैधानिक दायरे में रहते हुए सुलझाना चाहती है, ताकि किसी और समुदाय के हक़ पर असर न पड़े।
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