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Up Kiran, Digital Desk: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इन शब्दों को समझना आज यूक्रेन युद्ध की रणनीति को समझने जैसा है। तीन साल से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच शांति वार्ता की एक और कोशिश अधर में लटक गई है।
तुर्की की मध्यस्थता जेलेंस्की का न्योता और डोनाल्ड ट्रंप की दिलचस्पी — सबकुछ मिलाकर उम्मीद जगी थी मगरन आखिरी क्षणों में रूस के राष्ट्रपति पुतिन और ट्रंप दोनों ही वार्ता से पीछे हट गए।
अब वार्ता में रूस की ओर से केवल प्रतिनिधिमंडल शामिल होगा मगरन असल चर्चा किसी और मुद्दे पर हो रही है — पुतिन के 25 साल पुराने उस इंटरव्यू पर जिसमें उन्होंने बचपन में एक चूहे से मिली सीख को साझा किया था।
वो घटना जिसने पुतिन की सोच को बदल दिया
साल 2000 में दिए एक इंटरव्यू में पुतिन ने बताया था कि लेनिनग्राद की तंग गलियों में वे अपने दोस्तों के साथ रहते थे और वहां अक्सर चूहों को भगाते थे। एक बार उन्होंने एक बड़े चूहे को कोने में घेर लिया मगरन तभी वह चूहा पलटा और उन्हें दौड़ा लिया।
पुतिन ने कहा कि तभी मुझे समझ आया कि जब कोई कोने में फंस जाए तो वह किस हद तक जा सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पुतिन अक्सर खुद को उसी "कोने में पड़े चूहे" की तरह महसूस करते हैं जिसे जब विकल्प नहीं दिखता तो वह आक्रामक हो उठता है।
पुतिन ने नाटो के विस्तार को रूस की सुरक्षा पर सीधा हमला माना। पश्चिमी देशों की सैन्य गतिविधियां और यूक्रेन को समर्थन देना उन्हें ‘घेरे जाने’ का संकेत लगा। और फिर जो हुआ वह था एक आक्रामक पलटवार — यूक्रेन पर हमला।
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