
Up Kiran, Digital Desk: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के भव्य और औपचारिक मंच पर, जहां दुनिया के सबसे शक्तिशाली नेता कूटनीतिक दांव-पेंच और गंभीर चर्चाओं में व्यस्त थे, वहीं दो दोस्तों की एक मुलाकात ने पूरे माहौल में गर्मजोशी और सहजता घोल दी। यह दोस्त थे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन।
शिखर सम्मेलन की शुरुआत से ठीक पहले, जब दोनों नेताओं का आमना-सामना हुआ, तो वह नजारा किसी औपचारिक मुलाकात जैसा नहीं था। पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने एक-दूसरे से पूरी गर्मजोशी के साथ हाथ मिलाया, मुस्कुराए और फिर एक-दूसरे को गले लगा लिया। यह सिर्फ एक हैंडशेक या गले मिलना नहीं था; यह दशकों पुरानी दोस्ती, आपसी विश्वास और उस रणनीतिक साझेदारी का प्रतिबिंब था जो समय की हर कसौटी पर खरी उतरी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बाद में सोशल मीडिया पर भी अपने उद्गार व्यक्त करते हुए लिखा, "राष्ट्रपति पुतिन से मिलना हमेशा आनंददायक होता है।"
यह चंद शब्द और यह एक तस्वीर अपने आप में बहुत कुछ कहती है। एक ऐसे समय में जब पूरी दुनिया खेमों में बंटी नजर आ रही है और अंतरराष्ट्रीय समीकरण हर दिन बदल रहे हैं, भारत और रूस की यह दोस्ती दुनिया को एक मजबूत संदेश देती है। यह बताती है कि यह रिश्ता किसी दबाव या समीकरण का मोहताज नहीं, बल्कि आपसी सम्मान और विश्वास की मजबूत नींव पर टिका है।
दोनों नेताओं की बॉडी लैंग्वेज में जो सहजता थी, वह दिखाती है कि उनके बीच का संबंध सिर्फ कूटनीतिक जरूरतों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें एक व्यक्तिगत जुड़ाव भी है। नेताओं के बीच का यह व्यक्तिगत संबंध ही है जो अक्सर कागजों पर की गई संधियों से कहीं ज्यादा मजबूत होता है।
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