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Up Kiran, Digital Desk: राजस्थान की सियासत में एक बार फिर से नरेश मीणा की जोरदार एंट्री हो रही है। करीब आठ महीने तक जेल में रहने के बाद बाहर आए मीणा अब राजनीतिक मोर्चे पर पूरी तरह सक्रिय हो गए हैं। वे 21 जुलाई से प्रस्तावित जनक्रांति यात्रा की तैयारियों में जुटे हैं, जिसका मकसद केवल जन संवाद नहीं, बल्कि सत्ता और सिस्टम को सीधी चुनौती देना है।

झालावाड़ से शुरू होगी ‘जनक्रांति यात्रा’

मीणा ने घोषणा की है कि भ्रष्टाचार, नशे के कारोबार और राजनीतिक अनैतिकता के खिलाफ वे एक 11 सूत्रीय मांगों के साथ जनक्रांति यात्रा की शुरुआत करेंगे। यह यात्रा झालावाड़ से आरंभ होगी, हालांकि वे बारां जाकर इस अभियान को गति देंगे। मीणा का कहना है कि जेल से बाहर आने के बाद अब वे जनता का आशीर्वाद लेकर परिवर्तन की लहर लाना चाहते हैं।

राजनीतिक सफेदपोशों पर तीखा हमला

टोंक में जनसंपर्क के दौरान मीणा ने वर्तमान सत्ता तंत्र पर तीखे शब्दों में हमला बोला। उन्होंने कहा कि बंदूकधारी अपराधियों से अधिक खतरनाक वे नेता हैं जो कुर्सी पर बैठकर जनता को लूटते हैं। मीणा के अनुसार, अब इन नेताओं का स्वागत फूल नहीं बल्कि जूतों की माला और थप्पड़ों से होना चाहिए। उनका बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है।

भगत सिंह को बताया प्रेरणास्त्रोत, छात्रों के मुद्दे उठाए

मीणा ने अपनी विचारधारा स्पष्ट करते हुए कहा कि वे भगत सिंह को अपना आदर्श मानते हैं और अब उनकी लड़ाई केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि जनसंघर्ष का रूप ले चुकी है। उन्होंने चेताया कि अगर छात्रसंघ चुनाव समय पर नहीं कराए गए, तो वे सड़कों पर उतरने से पीछे नहीं हटेंगे। साथ ही समरावता हिंसा में पीड़ितों को अब तक न्याय न मिलने पर भी उन्होंने प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया।

नशे और मिलावट के खिलाफ कानून की मांग

मीडिया से बातचीत में मीणा ने राज्य में फैलते नशे और खाद्य पदार्थों में मिलावट पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि ड्रग्स माफिया पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और राज्य में ऐसा कानून बनना चाहिए जो इन माफियाओं को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाए। साथ ही मिलावटखोरी पर कठोर दंडात्मक प्रावधान लागू किए जाने की मांग भी उन्होंने रखी।

‘पंजाब जागा, अब राजस्थान की बारी है’

राज्य की जनता को चेताते हुए मीणा ने कहा कि जिस तरह पंजाब में जनता ने नेताओं की असफलता के खिलाफ आवाज़ उठाई, अब राजस्थान को भी वैसा ही साहस दिखाना होगा। उन्होंने कहा कि जब सरकारें विफल होती हैं, तब जनता को ही नेतृत्व संभालना पड़ता है।

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