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Up Kiran, Digital Desk: नेपाल में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के साथ ही देश की युवा पीढ़ी खासकर जेनरेशन ज़ेड अब ऐसे नेतृत्व की तलाश में है जो उनके सपनों और आक्रोश को समझ सके। यह केवल सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक सोच में हो रहे बदलाव का संकेत है।

बालेन शाह: युवाओं की उम्मीदों का चेहरा

कभी रैप की दुनिया में पहचाने जाने वाले बालेन शाह आज नेपाल के सबसे चर्चित नेताओं में गिने जाते हैं। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा और 2022 में काठमांडू के मेयर बने। उनकी जीत ने यह दिखा दिया कि जनता अब पुराने ढांचों में बंधे नेताओं को नहीं, बल्कि नए और बेबाक विकल्पों को चुनना चाहती है।

प्रदर्शनकारियों से अपील

हाल की अशांति के बीच बालेन ने फेसबुक पर लिखा कि यह आंदोलन पूरी तरह युवाओं का है और अब संयम बनाए रखना जरूरी है। उन्होंने ओली के इस्तीफ़े को युवाओं की जीत करार दिया और चेतावनी दी कि सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना देश का नुकसान है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आगे का रास्ता तय करने के लिए बातचीत जरूरी है।

अनोखा राजनीतिक सफर

बालेन की यात्रा अनूठी रही है। भूमिगत रैप मुकाबलों से लेकर सिविल इंजीनियरिंग तक, और फिर मेयर की कुर्सी तक पहुंचना साधारण नहीं है। उनके अभियान ने ट्रैफिक, कचरा और अवैध निर्माण जैसे मुद्दों को उठाया, जिन्हें आम नागरिक रोज झेलते हैं। सत्ता संभालने के बाद उन्होंने परंपरागत शैली छोड़कर सीधे और सख्त फैसले लिए, जिनमें अवैध ढांचों को गिराना और अधिकारियों से जवाबदेही तय करना शामिल रहा।

युवाओं की राजनीति का क्षण

नेपाल के युवाओं ने अस्थिर सरकारें, बेरोजगारी और युद्ध के बाद की कठिनाइयां देखी हैं। उनके लिए सोशल मीडिया केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि आवाज उठाने का हथियार बन गया है। सरकार द्वारा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर लगाए गए प्रतिबंध ने गुस्से को और भड़का दिया। यही वजह रही कि हाल के प्रदर्शनों का नेतृत्व किसी बुजुर्ग नेता ने नहीं, बल्कि छात्रों और युवा कार्यकर्ताओं ने किया।