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Up Kiran, Digital Desk: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद हुए पहले राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने एक बड़ी राजनीतिक सफलता प्राप्त की। भाजपा के नेता सतपाल शर्मा ने चौथी सीट पर जीत दर्ज की, जिससे पार्टी ने राज्यसभा में अपनी स्थिति मजबूत की। यह जीत जम्मू-कश्मीर में भाजपा की बढ़ती राजनीतिक प्रभाव का स्पष्ट संकेत मानी जा रही है।

हालांकि भाजपा के पास राज्य में केवल 28 विधायक थे, जबकि जीत के लिए 32 विधायक का समर्थन जरूरी था, फिर भी भाजपा ने यह सीट अपने नाम की। पार्टी का यह दावा है कि उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के कुछ विधायकों का समर्थन प्राप्त किया, जिससे यह जीत संभव हो पाई।

कौन हैं सतपाल शर्मा?

सतपाल शर्मा जम्मू-कश्मीर भाजपा के अध्यक्ष हैं और लंबे समय से राज्य की राजनीति में सक्रिय हैं। वह 2014 में जम्मू पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे और राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट, सतपाल शर्मा 1986 में इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के सदस्य बने थे। वह जम्मू के एक डोगरा ब्राह्मण परिवार से हैं और जम्मू विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक हैं।

हालांकि, उन्हें हाल के विधानसभा चुनावों में टिकट नहीं दिया गया था, लेकिन पार्टी ने उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष का पद सौंपा था, और अब राज्यसभा चुनाव में उनकी जीत ने उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा को और बढ़ा दिया है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस का प्रदर्शन

नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) गठबंधन ने पहले तीन राज्यसभा सीटों पर जीत दर्ज की। पार्टी के नेता चौधरी मोहम्मद रमजान, साजद किचलू और शमी ओबेरॉय ने चुनाव जीते। रमजान ने 58 वोट हासिल किए, जबकि कुल 86 विधायकों ने मतदान किया। एनसी गठबंधन को कांग्रेस, पीडीपी, सीपीआई(एम), एआईपी और छह निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त था।

चौथी सीट पर संघर्ष

राज्यसभा की चौथी सीट पर मुकाबला एनसी के इमरान नबी डार और भाजपा के सतपाल शर्मा के बीच हुआ। इस मुकाबले में सतपाल शर्मा ने 32 वोट हासिल किए, जबकि इमरान डार को 22 वोट मिले। भाजपा की इस जीत को अनुच्छेद 370 के हटने के बाद की पहली राज्यसभा सीट के रूप में देखा जा रहा है। इससे पहले, भाजपा के शमशेर सिंह मनहास 2015 से 2021 तक राज्यसभा सदस्य रहे थे।

चुनाव में देर क्यों हुई?

यह चुनाव चार साल बाद हुआ, क्योंकि इस दौरान जम्मू-कश्मीर की विधानसभा भंग थी, और राज्यसभा के सदस्य विधायकों द्वारा चुने जाते हैं। विधानसभा के बिना चुनाव का आयोजन संभव नहीं था। 2021 में गुलाम नबी आजाद, नजीर अहमद लावे, फय्याज अहमद मीर और शमशेर सिंह मनहास का कार्यकाल समाप्त हो गया था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद इन सीटों को केंद्र शासित प्रदेश के हिस्से के रूप में माना गया।

राजनीति में बदलाव की आहट

सतपाल शर्मा की जीत को जम्मू-कश्मीर की बदलती राजनीतिक दिशा के रूप में देखा जा रहा है। जहां एक तरफ एनसी गठबंधन ने तीन सीटों पर अपना दबदबा कायम रखा, वहीं भाजपा की यह जीत यह साबित करती है कि प्रदेश की राजनीति अब एकतरफा नहीं रही। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस जीत से भाजपा को आगामी विधानसभा चुनावों में आत्मविश्वास मिलेगा, और संगठन को नई ऊर्जा मिलेगी।