
Up Kiran, Digital Desk: यह नाम सुनते ही हमारे दिमाग में एक ऐसे नेता और विद्वान की छवि आती है, जिनकी अंग्रेजी और विचारों का लोहा हर कोई मानता है। लेकिन हाल ही में, एक महिला ने उन्हें उन्हीं के मैदान, यानी 'हिंदू धर्म की व्याख्या' को लेकर, अमेरिका से सीधी और तीखी चुनौती दे डाली।
इस महिला का नाम है सुहाग शुक्ला, और आज अमेरिका में बसे हिंदुओं के लिए यह एक बहुत बड़ा और जाना-पहचाना नाम है।
तो आखिर कौन हैं सुहाग शुक्ला: सुहाग शुक्ला कोई राजनेता नहीं हैं, बल्कि वह एक वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। वह हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (HAF) की सह-संस्थापक और कार्यकारी निदेशक हैं। मुंबई में जन्मीं और अमेरिका में पली-बढ़ीं, सुहाग ने धर्म और कानून, दोनों में ऊंची डिग्रियां हासिल की हैं, जो उन्हें अपने काम के लिए एक अनोखी और मजबूत आवाज देता है।
वह सिर्फ एक सामुदायिक नेता नहीं हैं, बल्कि एक ऐसी योद्धा हैं जो पिछले कई सालों से अमेरिकी सरकार, मीडिया और शिक्षा व्यवस्था में हिंदू धर्म और हिंदुओं के अधिकारों के लिए लड़ रही हैं।
क्या करती है उनकी संस्था HAF: हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (HAF) अमेरिका में हिंदुओं का सिर्फ कोई सांस्कृतिक संगठन नहीं है, बल्कि यह एक अधिकारों की वकालत करने वाला समूह (Advocacy Group) है। इसका काम है:
हिंदू धर्म के बारे में फैली गलतफहमियों को दूर करना।
अमेरिका में रहने वाले हिंदुओं के खिलाफ होने वाले धार्मिक भेदभाव से लड़ना।
स्कूलों की किताबों में हिंदू धर्म को सही तरीके से पढ़ाया जाए, यह सुनिश्चित करना।
स्वास्तिक (एक पवित्र हिंदू प्रतीक) और नाजी प्रतीक (Hakenkreuz) के बीच के अंतर को लेकर जागरूकता फैलाना, ताकि हिंदुओं को नफरत का सामना न करना पड़े।
HAF खुद को हिंदू धर्म की एक "प्रगतिशील आवाज" के रूप में प्रस्तुत करता है।
क्यों हुई शशि थरूर से टक्कर: यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब शशि थरूर ने विदेशों में, खासकर अमेरिका में, 'हिंदुत्व' के बढ़ते प्रभाव को लेकर कुछ टिप्पणियां कीं। उनका इशारा HAF जैसे संगठनों की तरफ था, जिन्हें वह भारत की राजनीतिक विचारधारा से प्रभावित मानते हैं।
इस पर सुहाग शुक्ला ने तीखा पलटवार किया। उन्होंने सीधे तौर पर थरूर को जवाब देते हुए कहा कि जो लोग भारत में बैठकर विदेशों में बसे हिंदुओं पर ज्ञान देते हैं, उन्हें जमीन की हकीकत का कोई अंदाजा नहीं है।
सुहाग का तर्क था:अमेरिका में पले-बढ़े हिंदू बच्चों को स्कूलों में अपने धर्म और संस्कृति को लेकर बहुत भेदभाव और तानों का सामना करना पड़ता है।
HAF जैसे संगठन इन्हीं बच्चों और उनके परिवारों की आवाज हैं, जो अपनी पहचान को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।
थरूर जैसे बुद्धिजीवी इसे 'हिंदुत्व की राजनीति' का चश्मा पहनकर देखते हैं, जबकि यह असल में 'हिंदू अधिकारों' की लड़ाई है।
क्यों खास हैं सुहाग शुक्ला: सुहाग शुक्ला का महत्व इस बात में है कि वह अकादमिक बहसों से निकलकर, कानूनी और राजनीतिक लड़ाई के जरिए अमेरिका में हिंदू धर्म की एक नई और मुखर पहचान गढ़ रही हैं। शशि थरूर के साथ उनकी यह टक्कर सिर्फ दो लोगों की बहस नहीं है, बल्कि यह इस बड़ी लड़ाई का प्रतीक है कि 21वीं सदी में हिंदू धर्म को कौन और कैसे परिभाषित करेगा - भारत में बैठे बुद्धिजीवी, या दुनिया भर में फैले आम हिंदू।