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देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी (BJP) इन दिनों एक अहम मोड़ पर खड़ी है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव की आहट सुनाई दे रही है और सियासी गलियारों में चर्चाएं जोरों पर हैं कि BJP के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का ऐलान कभी भी हो सकता है। मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल खत्म होने की कगार पर है और अप्रैल के अंत तक किसी नए नाम की घोषणा की संभावना जताई जा रही है।

कौन हैं रेस में सबसे आगे

पार्टी सूत्रों की मानें तो केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर इस दौड़ में सबसे आगे हैं। खट्टर न केवल पीएम नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी माने जाते हैं, बल्कि उनकी संगठनात्मक पकड़ और संघ से पुराने रिश्ते भी उनके पक्ष में जाते हैं। लंबे समय तक आरएसएस प्रचारक रहे खट्टर को न सिर्फ संगठन की बारीक समझ है, बल्कि वे मोदी ब्रिगेड का भरोसेमंद चेहरा भी हैं।

लेकिन खट्टर अकेले नाम नहीं हैं। धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव जैसे कद्दावर मंत्री भी अध्यक्ष पद की रेस में हैं। प्रधान की पकड़ पूर्वी भारत खासकर ओडिशा-बंगाल क्षेत्र में मानी जाती है। तो वहीं भूपेंद्र यादव का संगठन में लंबे समय से प्रभाव है और उन्होंने कई चुनावी रणनीतियां सफलतापूर्वक अंजाम दी हैं।

आरएसएस की भूमिका अहम

BJP का कोई भी बड़ा फैसला बिना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की सहमति के नहीं होता। यही वजह है कि नए अध्यक्ष के चयन में संघ की राय को विशेष महत्व दिया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, संघ भी चाहता है कि पार्टी की कमान ऐसे नेता के हाथ में हो, जो वैचारिक रूप से संगठन से जुड़ा रहा हो और जिसकी प्रशासनिक क्षमताओं पर कोई संदेह न हो। इस मामले में मनोहर लाल खट्टर संघ के लिए भी एक स्वाभाविक पसंद हो सकते हैं।

राज्यों में भी चल रहा है बदलाव

राष्ट्रीय अध्यक्ष के ऐलान से पहले BJP उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में भी अध्यक्ष पद के लिए नए चेहरे ला सकती है। बताया जा रहा है कि 25 अप्रैल तक राज्यों में यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इसके बाद केंद्रीय नेतृत्व की घोषणा होगी। पार्टी की यह रणनीति स्पष्ट संकेत देती है कि BJP 2029 की तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।

संगठन से सरकार तक फेरबदल की तैयारी

सिर्फ संगठन ही नहीं, बल्कि कैबिनेट विस्तार को लेकर भी चर्चाएं गर्म हैं। एनडीए के सहयोगी दल निरंतर मोदी सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि उन्हें भी सरकार में उचित प्रतिनिधित्व मिले। बिहार चुनाव को देखते हुए उपेंद्र कुशवाहा को मंत्री पद दिया जा सकता है। वहीं एकनाथ शिंदे की पार्टी को भी कैबिनेट में जगह मिलने की संभावना जताई जा रही है।