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Up Kiran, Digital Desk: टेक्नोलॉजी की दुनिया में अपना दबदबा और बढ़ाने के लिए दो बड़े देशों, दक्षिण कोरिया और अमेरिका, ने हाथ मिला लिया है। दोनों देशों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), आउटर स्पेस (अंतरिक्ष) और नेक्स्ट-जेनरेशन मोबाइल नेटवर्क्स जैसी अहम टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में मिलकर काम करने के लिए एक बड़े समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

दक्षिण कोरिया के विज्ञान और आईसीटी (ICT) मंत्रालय ने बताया कि यह समझौता सियोल में आयोजित 'दक्षिण कोरिया-यू.एस. आईसीटी फोरम' के दौरान किया गया। इस समझौते का मकसद सिर्फ टेक्नोलॉजी का विकास करना ही नहीं, बल्कि ग्लोबल सप्लाई चेन को ज़्यादा सुरक्षित और भरोसेमंद बनाना भी है।

किन-किन क्षेत्रों में होगी यह बड़ी पार्टनरशिप?

इस समझौते के तहत दोनों देश कई भविष्य की टेक्नोलॉजी पर साथ मिलकर काम करेंगे:

6G मोबाइल नेटवर्क्स: जब दुनिया अभी 5G को पूरी तरह से अपना रही है, तब इन दोनों देशों ने 6G टेक्नोलॉजी पर काम करना शुरू कर दिया है। वे मिलकर 'ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क्स' (Open RAN) जैसी तकनीकों पर रिसर्च करेंगे, जो भविष्य के मोबाइल कम्युनिकेशन की रीढ़ मानी जा रही है।

आउटर स्पेस और क्वांटम टेक्नोलॉजी: यह पार्टनरशिप सिर्फ धरती तक ही सीमित नहीं है। दोनों देश स्पेस कम्युनिकेशन (अंतरिक्ष संचार) और क्वांटम टेक्नोलॉजी (जो आज के सुपर कंप्यूटर से भी करोड़ों गुना तेज होगी) जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग करेंगे।

क्यों ज़रूरी है यह समझौता?

यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब पूरी दुनिया में टेक्नोलॉजी को लेकर एक नई तरह की रेस छिड़ी हुई है। चीन जैसे देश भी इन क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में अमेरिका और दक्षिण कोरिया का साथ आना यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य की इन महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी का विकास लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर हो और ग्लोबल सप्लाई चेन किसी एक देश पर निर्भर न रह जाए।

यह पार्टनरशिप दिखाती है कि आने वाला कल इन्हीं टेक्नोलॉजी का है, और जो देश इनमें महारत हासिल कर लेगा, वही दुनिया पर राज करेगा।