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Up Kiran, Digital Desk: 87 साल की उम्र में बॉलीवुड और मराठी सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री संध्या शांताराम का निधन हो गया। उन्होंने अपने अभिनय से कई प्रशंसित हिंदी और मराठी फिल्मों को सजाया। उनकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण 1959 की फिल्म नवरंग का गाना 'अरे जा रे हट नटखट' था, जिसने उन्हें रातोंरात सुपरस्टार बना दिया। यह गीत आज भी होली के त्योहार पर खूब सुना जाता है।

शुरुआती जीवन और करियर की शुरुआत

संध्या शांताराम का जन्म 13 सितंबर 1938 को हुआ था। उनका करियर प्रसिद्ध फिल्म निर्माता वी. शांताराम के साथ शुरू हुआ, जिन्होंने उन्हें अपनी फिल्म अमर भूपाली (1951) के लिए चुना। उनकी मधुर आवाज़ और अभिनय प्रतिभा ने सभी का दिल जीत लिया। 1952 में मराठी फिल्म अमर भूपाली से संध्या ने अभिनय की शुरुआत की। इसके बाद वे कई फिल्मों में नजर आईं, जिनमें तीन बत्ती चार रास्ता (1953) भी शामिल थी, जहां उन्होंने गरीब लड़की कोकिला की भूमिका निभाई।

एक अनोखा प्यार, उम्र के फासले से परे

संध्या और वी. शांताराम के बीच एक खास रिश्ता था। दोनों के बीच 37 साल का अंतर था, लेकिन यह फासला उनके प्यार में कोई बाधा नहीं बना। 1956 में, वी. शांताराम ने अपनी पहली पत्नी जयश्री को छोड़कर संध्या से शादी कर ली। उनकी जोड़ी ने कई फिल्मों में साथ काम किया और भारतीय सिनेमा पर गहरा प्रभाव छोड़ा। वी. शांताराम का 1990 में निधन हो गया। इस कपल के कोई संतान नहीं थी, लेकिन उनकी फिल्मी विरासत आज भी ज़िंदा है।

यादगार फिल्में और पुरस्कार

संध्या शांताराम ने अपने करियर में कई सफल फिल्में दीं, जिनमें अमर भूपाली, तीन बत्ती चार रास्ता, झनक झनक पायल बाजे, दो आंखें बारह हाथ, नवरंग, पिंजरा, सेहरा, चंदनाची चोली अंग-अंग जाली प्रमुख हैं। उनकी अदाकारी के लिए उन्हें दो बार फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला – मराठी फिल्म पिंजरा और चंदनाची चोली अंग-अंग जाली के लिए।