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Up Kiran, Digital Desk: लोकसभा चुनाव 2024 के बाद भारतीय जनता पार्टी में कई अहम बदलावों की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। इन दिनों सबसे बड़ा सवाल यही है कि पार्टी का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा? दिल्ली से लेकर नागपुर तक इस पर गहन मंथन चल रहा है, लेकिन अब तक किसी नाम पर अंतिम सहमति नहीं बन सकी है। पार्टी कार्यकर्ताओं से लेकर राजनीतिक विश्लेषकों तक की नजरें इस पर टिकी हैं कि भाजपा की कमान अब किसके हाथों में दी जाएगी।

धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव का नाम भेजा गया, पर सहमति नहीं

सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, भाजपा नेतृत्व की ओर से केंद्रीय मंत्रियों धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव के नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को भेजे गए थे। दोनों नेता गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं और संगठनात्मक अनुभव भी रखते हैं। बावजूद इसके, संघ ने इन नामों को स्वीकार नहीं किया।

बताया जा रहा है कि संघ की राय है कि पार्टी को अब भविष्य की राजनीति के लिए तैयार करना जरूरी है। वह ऐसे नेतृत्व की मांग कर रहा है जो महज औपचारिक चेहरा न हो, बल्कि संगठन के भीतर गहराई से स्वीकार्य हो और 2029 के बाद पार्टी को नए आयाम तक ले जा सके।

संघ की सोच: भविष्य के लिए मज़बूत और पसंदीदा चेहरा चाहिए

संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों का मानना है कि भाजपा को सिर्फ आज की नहीं, आने वाले दशक की राजनीति के लिए भी तैयार रहना होगा। इसके लिए संगठन ऐसा नेता चाहता है जो कार्यकर्ताओं के बीच विश्वसनीय हो, लोकप्रियता रखता हो और नरेंद्र मोदी के बाद पार्टी को नेतृत्व दे सके। यही वजह है कि वह किसी "रबर स्टांप" अध्यक्ष की बजाय एक ठोस और प्रभावशाली नेता की खोज में है।

एक वरिष्ठ स्वयंसेवक के अनुसार, अब तक भाजपा और संघ के बीच इस विषय पर तीन दौर की बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचा गया है। चर्चा का सिलसिला आगे भी जारी रहने की संभावना है।

महिला अध्यक्ष की अटकलें और अन्य संभावित नाम

इस बीच यह भी खबरें आई थीं कि भाजपा पहली बार किसी महिला नेता को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना सकती है। इस चर्चा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का नाम प्रमुखता से लिया गया था। वहीं पूर्व मुख्यमंत्रियों मनोहर लाल खट्टर और शिवराज सिंह चौहान के नाम भी इस दौड़ में सामने आए हैं। हालांकि, इन नामों पर भी अंतिम मुहर नहीं लग पाई है।

उत्तर प्रदेश में भी नेतृत्व परिवर्तन की तैयारी

राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन के साथ-साथ भाजपा के लिए एक और चुनौती उत्तर प्रदेश में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर है। सूत्रों के मुताबिक, इस मुद्दे पर भी गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच विचारों में एकरूपता नहीं बन पाई है। उत्तर प्रदेश की राजनीतिक दृष्टि से अहम भूमिका को देखते हुए यह निर्णय भी पार्टी के लिए रणनीतिक महत्व रखता है।

 

 

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