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israel hamas war: इजराइल और हमास के बीच बीते कई महीनों से चल रही जंग और भी भीषण होती जा रही है। ईरान स्थित हमास प्रमुख इस्माइल हानियेह की हत्या के बाद ईरान समेत अन्य देशों के युद्ध में शामिल होने की संभावना है। इस युद्ध का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है, इसलिए भारत इस पर नजर बनाए हुए है। इस बीच, पूर्व न्यायाधीशों, राजनयिकों, कार्यकर्ताओं, लेखकों और अर्थशास्त्रियों के साथ साथ देश के 25 नागरिकों के एक समूह ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर इजराइल को हथियारों के निर्यात को रोकने का अनुरोध किया है।

30 जुलाई को लिखे पत्र में आगे कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इज़राइल अपने दायित्वों का उल्लंघन कर रहा है। इसलिए, इज़राइल को हथियार और युद्ध सामग्री की आपूर्ति करने के लिए अलग अलग भारतीय कंपनियों के निर्यात लाइसेंस रद्द किए जाने चाहिए। इज़राइल को किसी भी सैन्य सामग्री की आपूर्ति करना अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी कानून के तहत भारत के दायित्वों और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 (सी) के साथ अनुच्छेद 21 के जनादेश का उल्लंघन है। पत्र में कहा गया है, हम आपसे निर्यात लाइसेंस रद्द करने और इजराइल को सैन्य उपकरणों की आपूर्ति करने वाली कंपनियों को कोई नया लाइसेंस जारी करने से रोकने का आग्रह करते हैं।

कई भारतीय कंपनियां इजरायली कंपनियों के साथ काम करती हैं

भारत में कई सरकारी और निजी कंपनियां इजरायली रक्षा निर्माण कंपनियों के साथ मिलकर हथियार बनाने का काम कर रही हैं। ये भारतीय कंपनियां अपने ज्यादातर उत्पाद इजरायली कंपनियों के लिए बनाती हैं। पत्र में तीन भारतीय कंपनियां, म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटेड (एमआईएल), प्रीमियर एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (पीईएल) और अदानी-एलबिट एडवांस्ड सिस्टम्स इंडिया लिमिटेड शामिल हैं।

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