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Up Kiran, Digital Desk: ऑफिस स्पेस देने वाली मशहूर कंपनी WeWork India अपना 3,000 करोड़ रुपये का इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) लेकर आई है, लेकिन इसे लेकर निवेशकों में कोई उत्साह नहीं दिख रहा है। हालत यह है कि आज सब्सक्रिप्शन का आखिरी दिन होने के बावजूद, यह IPO अब तक सिर्फ 16% ही भर पाया है।

बड़े निवेशक तो छोड़िए, रिटेल यानी आम निवेशकों ने भी इसमें खास दिलचस्पी नहीं दिखाई है। ग्रे मार्केट में भी इसके शेयर अपने इश्यू प्राइस पर ही 'फ्लैट' चल रहे हैं, यानी लिस्टिंग पर किसी फायदे की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है।

लेकिन सवाल यह है कि WeWork जैसे बड़े ब्रांड के IPO से निवेशक इतना दूर क्यों भाग रहे हैं?

इसकी वजह है एक गवर्नेंस एडवाइजरी फर्म, InGovern रिसर्च सर्विसेज, की एक रिपोर्ट, जिसने इस IPO से जुड़े कई गंभीर खतरों पर से पर्दा उठाया है। आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि वो कौन सी 5 बड़ी चिंताएं हैं, जिनकी वजह से इस IPO को लेकर 'खतरे की घंटी' बज रही है।

1. कंपनी की माली हालत बेहद कमजोर

सबसे बड़ी चिंता WeWork India की अपनी वित्तीय हालत है।

लगातार घाटा: कंपनी सालों से लगातार घाटे में चल रही है और उसका कैश फ्लो भी निगेटिव है।

किराए में जा रही सारी कमाई: कंपनी की कमाई का 43% से ज्यादा हिस्सा तो सिर्फ अपनी प्रॉपर्टीज के भारी-भरकम किराए को चुकाने में ही चला जाता है।

नेट वर्थ भी निगेटिव: 31 मार्च, 2024 तक, कंपनी की नेट वर्थ माइनस 437.4 करोड़ रुपये थी।

मुनाफे का धोखा: कंपनी ने FY25 में जो मुनाफा दिखाया है, वह उसके कामकाज में किसी सुधार की वजह से नहीं, बल्कि 286 करोड़ रुपये के एक Deferred Tax Credit (एक तरह की टैक्स छूट) के कारण है। यानी यह असली मुनाफा नहीं है।

2. IPO का सारा पैसा प्रमोटरों और शेयरधारकों की जेब में

आमतौर पर कंपनियां IPO इसलिए लाती हैं ताकि बाजार से मिले पैसों से वे अपना कारोबार बढ़ा सकें या कर्ज चुका सकें। लेकिन WeWork के इस IPO में ऐसा कुछ नहीं है। IPO से मिलने वाला सारा का सारा पैसा मौजूदा शेयरधारकों और प्रमोटरों (Offer for Sale) के पास जाएगा। कंपनी को ग्रोथ के लिए एक नया पैसा भी नहीं मिलेगा।

3. प्रमोटरों पर चल रहे हैं धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के केस

यह सबसे गंभीर चिंता है। कंपनी के प्रमोटरों, जितेंद्र विरवानी और करण विरवानी, के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, विश्वासघात और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे कई संगीन आपराधिक मामले चल रहे हैं।

4. ऑफिस स्पेस भरने की रफ्तार धीमी

InGovern की रिपोर्ट बताती है कि WeWork India के ऑफिस स्पेस भरने (Occupancy Level) की रफ्तार अपनी कंपटीटर कंपनियों के मुकाबले कम है। यह इस बात का संकेत है कि बाजार में रिकवरी के बावजूद, कंपनी की एसेट का इस्तेमाल ठीक से नहीं हो पा रहा है।

5. कंपनी पर गलत जानकारी देने का आरोप

मामले को और गंभीर बनाते हुए, एक निवेशक विनय बंसल ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। इसमें आरोप लगाया गया है कि WeWork India ने अपने IPO के दस्तावेजों (DRHP) में भ्रामक जानकारी दी है और अपने प्रमोटरों के खिलाफ दायर चार्जशीट जैसी महत्वपूर्ण बातों को छिपाया है।

इन सभी बड़ी वजहों को देखते हुए, यह साफ है कि निवेशक WeWork India के इस IPO में अपना पैसा लगाकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहते.