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भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी बात को दमदार तरीके से रखा है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र (UN) की 80वीं वर्षगांठ के मौके पर साफ-साफ कह दिया है कि दुनिया के इस सबसे बड़े संगठन में "सब कुछ ठीक नहीं है" और इसके फैसले आज की वैश्विक प्राथमिकताओं को नहीं दर्शाते.

"आज की हकीकत से कोसों दूर है UN"

विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र, खासकर उसकी सबसे ताकतवर बॉडी, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) पर तीखा प्रहार किया. उन्होंने कहा कि UN आज भी 80 साल पुरानी दुनिया की सोच के हिसाब से चल रहा है. जयशंकर ने कहा, "आज दुनिया 1945 से बहुत अलग है. दुनिया में देशों की संख्या चौगुनी हो गई है, वैश्विक अर्थव्यवस्था अब कुछ ही देशों के हाथ में नहीं है, और दुनिया के सामने चुनौतियां भी बिल्कुल नई हैं. लेकिन संयुक्त राष्ट्र और खासकर सुरक्षा परिषद बदलने को तैयार नहीं है."

कुछ देशों के हाथ में 'वीटो पावर' पर उठाया सवाल

जयशंकर ने उस 'वीटो पावर' पर भी सवाल उठाया जो सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन) के पास है. इस पावर की वजह से, इन पांच देशों में से कोई भी एक देश किसी भी प्रस्ताव को अकेले रोक सकता है, भले ही बाकी 190 देश उसके पक्ष में क्यों न हों.

उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था "अन्यायपूर्ण" है और यह UN को आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, महामारी और संघर्षों जैसे आज के बड़े मुद्दों पर प्रभावी ढंग से काम करने से रोकती है.

भारत ने की तत्काल सुधार की मांग

भारत की ओर से एक मजबूत संदेश देते हुए, जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को अगर अपनी प्रासंगिकता बनाए रखनी है, तो उसे तत्काल सुधार करने होंगे. सुरक्षा परिषद में नए स्थायी सदस्यों को शामिल करना होगा जो आज की दुनिया की हकीकत को दर्शाते हों.

जयशंकर का यह बयान दुनिया के उन करोड़ों लोगों की आवाज है जो महसूस करते हैं कि संयुक्त राष्ट्र अब उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर रहा है और इसे बदलने का समय आ गया है.