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तिरुवनंतपुरम: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी 'पीएम श्री स्कूल योजना' को लेकर केरल में एक बड़ा राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है। केरल की सत्ताधारी लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) सरकार की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), ने अपनी ही सरकार से इस योजना से तुरंत बाहर निकलने की मांग की है।

CPI नेताओं का आरोप है कि यह योजना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की विचारधारा को स्कूलों के सिलेबस में शामिल करने और शिक्षा का "भगवाकरण" (Saffronization) करने का एक छिपा हुआ एजेंडा है।

क्या है PM श्री स्कूल योजना: पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया' (PM SHRI) केंद्र सरकार की एक योजना है, जिसके तहत देश भर के हजारों सरकारी स्कूलों को अपग्रेड किया जाना है। इसका मकसद इन स्कूलों में स्मार्ट क्लास, आधुनिक लैब और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी सुविधाएं देना और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लागू करना है।

क्यों कर रही है CPI इसका विरोध?

CPI नेताओं का मुख्य डर इस योजना के सिलेबस और करिकुलम को लेकर है। उनका आरोप है कि केंद्र सरकार इस योजना के जरिए स्कूलों पर अपना नियंत्रण बढ़ाना चाहती है और पाठ्यक्रम में ऐसे बदलाव करना चाहती है जो RSS की विचारधारा को बढ़ावा दें।

पार्टी के कई नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर बयान दिया है कि केरल, जो अपनी धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील शिक्षा प्रणाली के लिए जाना जाता है, अपने स्कूलों में किसी भी तरह के सांप्रदायिक एजेंडे को लागू नहीं होने देगा। उनका कहना है कि LDF सरकार को तुरंत इस योजना से अपना नाम वापस ले लेना चाहिए।

सरकार पर बढ़ा दबाव: CPI, केरल में पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली LDF सरकार का एक अहम हिस्सा है। ऐसे में, अपनी ही सहयोगी पार्टी के इस कड़े विरोध ने सरकार को मुश्किल में डाल दिया है। एक तरफ केंद्र की विकास योजना का हिस्सा बनने का अवसर है, तो दूसरी तरफ अपनी ही विचारधारा और सहयोगी दल का भारी दबाव।

यह मामला अब सिर्फ शिक्षा का नहीं, बल्कि केरल की लेफ्ट राजनीति की एक बड़ी अग्निपरीक्षा बन गया है। अब देखना यह होगा कि क्या LDF सरकार अपने सहयोगी के दबाव में इस योजना से पीछे हटती है, या कोई बीच का रास्ता निकालती है।