Up kiran,Digital Desk : 75वें संविधान दिवस का यह अवसर भारत के लिए अत्यंत गौरवपूर्ण है। इस ऐतिहासिक दिन पर देश के पुराने संसद भवन (संविधान सदन) में हुए समारोह की गरिमा देखते ही बनती थी। आइए, इस खास मौके, संविधान के सफर और हमारे अधिकारों की कहानी को बिल्कुल आसान और दिलचस्प अंदाज में समझते हैं।
यहाँ इस ऐतिहासिक दिन और हमारे संविधान के सफर पर एक विस्तृत आर्टिकल है।
आज का दिन (26 नवंबर) भारतीय लोकतंत्र के लिए किसी त्योहार से कम नहीं है। हम अपना 75वां संविधान दिवस मना रहे हैं। इस खास मौके पर पुराने संसद भवन, जिसे अब 'संविधान सदन' कहा जाता है, के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में एक भव्य समारोह हुआ।
इस कार्यक्रम की खूबसूरती यह रही कि पक्ष और विपक्ष, दोनों ने साथ मिलकर इस पवित्र ग्रंथ (संविधान) को नमन किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के साथ-साथ लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी मौजूद रहे। यह दृश्य बताता है कि राजनीति अपनी जगह है, लेकिन संविधान सबसे ऊपर है।
आखिर 26 नवंबर ही क्यों?
शायद आपके मन में यह सवाल आता हो कि जब हम 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं, तो 26 नवंबर को संविधान दिवस क्यों?
दरअसल, 26 नवंबर 1949 को ही हमारे संविधान को आधिकारिक तौर पर 'अपनाया' (Adopt) गया था। इसके ठीक दो महीने बाद, 26 जनवरी 1950 को इसे पूरे देश में 'लागू' (Enforce) किया गया। साल 2015 में भारत सरकार ने तय किया कि नागरिकों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने के लिए 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाया जाएगा।
2 साल, 11 महीने और 18 दिन की कड़ी तपस्या
हमारा संविधान रातों-रात नहीं बन गया था। यह दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है और इसे बनाने में हमारे पूर्वजों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था।
इसे तैयार करने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का लंबा वक्त लगा। संविधान सभा के सामने लगभग 7600 संशोधन (सुझाव) रखे गए थे। इनमें से 2400 से ज्यादा सुझावों को लंबी बहस और 114 दिनों की चर्चा के बाद स्वीकार किया गया। यह बताता है कि हर शब्द को कितना तोल-मोल कर लिखा गया है।
इतिहास के पन्नों से: संविधान का सफर (टाइमलाइन)
- 1934: सबसे पहले मानवेंद्र नाथ रॉय ने संविधान सभा का विचार रखा। जिसे बाद में कांग्रेस ने अपनी मांग बनाया।
- 1946: संविधान सभा बनी। 9 दिसंबर 1946 को इसकी पहली बैठक उसी सेंट्रल हॉल में हुई थी, जहां आज कार्यक्रम हुआ। इसमें 9 महिलाओं समेत 207 सदस्य थे।
- 1947 (अगस्त): ड्राफ्टिंग कमेटी (मसौदा समिति) बनी, जिसकी कमान डॉ. भीमराव अंबेडकर के हाथों में थी।
- 1949 (नवंबर): 26 तारीख को संविधान बनकर तैयार हुआ और सभा ने इसे अपना लिया।
- 1950: 24 जनवरी को सदस्यों ने इस पर हस्ताक्षर किए और 26 जनवरी को यह पूरे देश में लागू हो गया।
समय के साथ हुए कुछ बड़े बदलाव (संशोधन)
संविधान कोई पत्थर की लकीर नहीं है, वक्त के साथ इसमें बेहतरी के लिए बदलाव भी हुए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख संशोधन ये हैं:
- 42वां संशोधन (1976): इसे 'लघु संविधान' (Mini Constitution) भी कहते हैं। इसमें प्रस्तावना में 'धर्मनिरपेक्ष', 'समाजवाद' जैसे शब्द जोड़े गए और मौलिक कर्तव्य शामिल किए गए।
- 44वां संशोधन (1978): इसने इमरजेंसी के दौरान मिले असीमित अधिकारों पर लगाम लगाई और सबसे महत्वपूर्ण बात— 'संपत्ति के अधिकार' को मौलिक अधिकार की जगह कानूनी अधिकार बना दिया।
- 86वां संशोधन (2002): यह बच्चों के भविष्य के लिए था। इसमें 6 से 14 साल के बच्चों के लिए शिक्षा को मौलिक अधिकार बना दिया गया।
- 101वां संशोधन (2016): देश की टैक्स व्यवस्था को बदलने वाला 'जीएसटी' (GST) इसी संशोधन के जरिए लागू हुआ था।
हमारा संविधान हमें न सिर्फ अधिकार देता है, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक बनने की राह भी दिखाता है। आज का दिन उसी जिम्मेदारी को याद करने का दिन है।
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