Up Kiran, Digital Desk: स्थानीय निकाय चुनावों से ठीक पहले सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के दो सबसे बड़े घटक दल भाजपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। दोनों के बीच नेताओं की खरीद-फरोख्त का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा। अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद सबको लगा था कि बात बन जाएगी लेकिन ताजा घटनाक्रम ने सारे समीकरण बिगाड़ दिए हैं।
भाजपा ने फिर तोड़े तीन बड़े नेता
सोमवार को भाजपा ने खुलेआम शिवसेना के तीन प्रभावशाली नेताओं को अपने पाले में खींच लिया। इनमें अंबरनाथ के जाने-माने बिजनेसमैन और पुराने शिवसैनिक रूपसिंह धाल शामिल हैं। धाल ज्वैलर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं और इलाके में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। उन्हें खुद महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण ने पार्टी की सदस्यता दिलाई।
इसी तरह संभाजीनगर जिले में फुलंबरी नगर पंचायत के लिए शिवसेना के अधिकृत उम्मीदवार रहे आनंदा ढोके और शिवसेना महिला आघाडी की जिला प्रमुख शिल्पारानी वाडकर भी भगवा झंडा थाम चुके हैं। इन तीनों नामों ने शिंदे खेमे में हड़कंप मचा दिया है।
“नतीजे भुगतने होंगे” - संजय शिरसाट
शिवसेना के वरिष्ठ मंत्री और संभाजीनगर के पालक मंत्री संजय शिरसाट ने भाजपा को खुली चेतावनी दे डाली। उन्होंने कहा, “अगर हमारे नेताओं को इस तरह खींचे जाते रहे तो भाजपा को इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा। हम चुप नहीं बैठेंगे। सही समय पर सही जवाब देंगे।”
शिरसाट यहीं नहीं रुके। उन्होंने साफ कहा कि अगर यही सिलसिला चला तो महायुति के नाम पर साथ चुनाव लड़ने का कोई मतलब नहीं रह जाता। उनके मुताबिक शिवसेना कार्यकर्ता बेहद नाराज हैं और उनमें भ्रम की स्थिति बन रही है।
भाजपा का जवाब: तीन दिसंबर के बाद सब ठीक हो जाएगा
दूसरी तरफ प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले शांत दिखे। उनका कहना था कि चुनाव प्रचार के दौरान थोड़े-बहुत मतभेद स्वाभाविक हैं। तीन दिसंबर को नतीजे आते ही सारी गिले-शिकवे दूर हो जाएंगे।
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