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Up kiran,Digital Desk : सोचिए, आप अपनी कोई चीज़ ठीक कराने के लिए बाहर भेजें और जब वो ठीक होकर वापस आए, तो उस पर आपसे भारी-भरकम टैक्स वसूल लिया जाए। कुछ ऐसा ही हुआ है इंडिगो एयरलाइन के साथ, और अब ये मामला दिल्ली हाईकोर्ट तक पहुँच गया है। इंडिगो ने सरकार से अपने 900 करोड़ रुपये से ज़्यादा वापस मांगे हैं।

तो आखिर झमेला क्या है?

इंडिगो के हवाई जहाज़ के इंजन और दूसरे ज़रूरी पुर्जे जब खराब हो जाते हैं, तो उन्हें मरम्मत के लिए विदेश भेजा जाता है। जब ये पुर्जे ठीक होकर वापस भारत आते हैं, तो कस्टम विभाग इन पर टैक्स (सीमा शुल्क) लगा देता है। इंडिगो का कहना है कि यह पूरी तरह से गलत और नियमों के खिलाफ है।

इंडिगो की दलीलें क्या हैं?

  1. ये तो डबल टैक्स है: एयरलाइन का कहना है कि मरम्मत एक 'सर्विस' यानी सेवा है, और इस पर वह पहले ही GST (वस्तु एवं सेवा कर) चुका देती है। अब उसी चीज़ पर दोबारा सीमा शुल्क लगाना तो डबल टैक्स जैसा हो गया, जो कि सही नहीं है।
  2. पुराना फैसला भी यही कहता है: इंडिगो ने कोर्ट को बताया कि एक पुराने मामले में, सीमा शुल्क ट्रिब्यूनल (टैक्स से जुड़े मामलों की एक तरह की अदालत) यह फैसला दे चुका है कि मरम्मत के बाद वापस आई चीज़ों पर दोबारा टैक्स नहीं लगाया जा सकता।
  3. मजबूरी में भरा पैसा: एयरलाइन ने कहा कि उसने अब तक 4,000 से ज़्यादा बार यह टैक्स भरा है, जो 900 करोड़ रुपये से भी ज़्यादा है। लेकिन यह पैसा उन्होंने अपनी मर्ज़ी से नहीं, बल्कि विरोध जताते हुए भरा था।

कोर्ट में हुआ एक दिलचस्प मोड़

यह मामला जब कोर्ट में सुनवाई के लिए आया, तो एक जज साहब ने खुद को इस केस से अलग कर लिया। वजह? उनके बेटे इंडिगो में ही पायलट हैं। अब इस मामले की सुनवाई कोई और बेंच करेगी ताकि किसी भी तरह के पक्षपात की कोई गुंजाइश न रहे।

एक और मुसीबत: 59 करोड़ का GST जुर्माना

इस 900 करोड़ के झमेले के अलावा, इंडिगो पर GST विभाग ने करीब 59 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है। एयरलाइन का कहना है कि विभाग का यह आदेश भी गलतियों से भरा है और वह इस जुर्माने के खिलाफ भी कानूनी लड़ाई लड़ेगी। अब सबकी नज़रें दिल्ली हाईकोर्ट पर हैं कि वो इस दिलचस्प और बड़े मामले में क्या फैसला सुनाती है।