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Meeting with Hitler: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले अनेक स्वतंत्रता सेनानियों में से एक नाम जिसे बहुत सम्मान से लिया जाता है, वह है नेताजी सुभाष चंद्र बोस। बोस को नेताजी की उपाधि जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने दी थी। बोस और हिटलर की मुलाकात 1942 में हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि बोस भारत को आजाद कराने का प्रस्ताव हिटलर के पास लेकर गए थे।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हालाँकि, हिटलर ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। हिटलर ने सुभाष चन्द्र बोस से कोई स्पष्ट वादा नहीं किया था। हिटलर वही व्यक्ति था जिसने पहली बार बोस को नेताजी की उपाधि दी थी। तब से उन्हें इसी उपाधि से जाना जाने लगा। इसके अलावा उन्हें देश के हीरो का खिताब भी मिल चुका है, जो उन्हें रवींद्रनाथ टैगोर ने दिया था।
कुल मिलाकर नेताजी ने हिटलर से मिलने का फैसला द्वितीय विश्व युद्ध के वक्त भारत की आजादी के लिए विदेशी सहायता प्राप्त करने के मकसद से लिया था। उनका कहना था कि यदि वे नाज़ी जर्मनी और जापान के साथ सहयोग कर सकते हैं, तो वे ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक मजबूत ताकत बना सकते हैं। बता दें कि हिटलर और नेताजी की विचारधारा अलग अलग थी।