img

रूस और अमेरिका के बीच तनाव किसी से छिपा नहीं है, लेकिन अब इस तनाव में एक नया अध्याय जुड़ गया है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिकी प्रतिबंधों की कड़ी आलोचना करते हुए एक बड़ा बयान दिया है, जिसका अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी समर्थन किया है. इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है.

कोई भी स्वाभिमानी देश दबाव में काम नहीं करता" - पुतिन

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, "कोई भी स्वाभिमानी देश दबाव में आकर कुछ नहीं करता." पुतिन का यह बयान साफ तौर पर अमेरिका को यह संदेश देने की कोशिश थी कि रूस किसी भी बाहरी दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि रूस हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देगा, चाहे उस पर कितने भी प्रतिबंध क्यों न लगा दिए जाएं. पुतिन ने यह भी कहा कि अमेरिका अपनी "विफल" प्रतिबंध नीति को छोड़कर बातचीत का रास्ता अपनाए.

पुतिन के सुर में सुर मिलाते दिखे ट्रंप

चौंकाने वाली बात यह रही कि पुतिन के इस बयान का डोनाल्ड ट्रंप ने खुले तौर पर समर्थन किया. ट्रंप, जो खुद अमेरिकी राष्ट्रपति रह चुके हैं, ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, "मुझे खुशी है कि वह (पुतिन) ऐसा महसूस करते हैं. वह बिल्कुल सही हैं!"

ट्रंप का यह बयान बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अमेरिका की मौजूदा सरकार की विदेश नीति के ठीक विपरीत है. यह दिखाता है कि कैसे अमेरिकी राजनीति में ही रूस को लेकर गहरे मतभेद हैं. ट्रंप हमेशा से पुतिन के प्रति एक नरम रुख अपनाते रहे हैं और उनका मानना है कि प्रतिबंधों के बजाय बातचीत से मुद्दों को सुलझाया जाना चाहिए.

क्या हैं इसके मायने: यह घटना दो बड़ी बातों की ओर इशारा करती है:

पुतिन का आत्मविश्वास: पुतिन दुनिया को यह दिखा रहे हैं कि अमेरिकी प्रतिबंधों का उन पर कोई असर नहीं हो रहा है और वह अपनी नीतियों पर अडिग हैं.

अमेरिकी राजनीति में फूट: ट्रंप का बयान अमेरिका के भीतर रूस के प्रति नीति को लेकर चल रही अंदरूनी लड़ाई को सतह पर ले आया है.

यह बयानबाजी ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर पहले से ही तनाव चरम पर है. अब देखना यह है कि यह verbal duel आगे चलकर क्या नया मोड़ लेता है.