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Up Kiran, Digital Desk: महाराष्ट्र की राजनीति में आज एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, जब धुले ग्रामीण क्षेत्र के प्रभावशाली नेता कुणाल पाटिल कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थामेंगे। दो बार विधायक रह चुके और वर्तमान में महाराष्ट्र कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष पद पर काबिज पाटिल का यह फैसला क्षेत्रीय राजनीति में भूचाल ला सकता है। उनका पार्टी छोड़कर बीजेपी में जाना उत्तर महाराष्ट्र के राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह बदलने वाला माना जा रहा है।

कुणाल पाटिल का राजनीतिक सफर कांग्रेस से जुड़ा रहा है, उनकी विरासत भी गहरी है। उनका परिवार पिछले 75 वर्षों से कांग्रेस के साथ मजबूत नाता रखता आ रहा है। उनके दादा सांसद रहे हैं और पिता ने सात बार विधायक के तौर पर सेवा दी है। इसके अलावा, पाटिल परिवार का गांधी परिवार से भी खास रिश्ता है, जिसे पिछले साल राहुल गांधी के उनके आवास पर चुनाव प्रचार के दौरान आने से देखा गया था।

हालांकि, इस दीर्घकालिक जुड़ाव के बावजूद, पाटिल ने पार्टी छोड़ने का जो बड़ा फैसला लिया है, उसकी वजह उन्होंने स्पष्ट की है। उनका मानना है कि कांग्रेस उत्तर महाराष्ट्र के विकास और जरूरतों को लंबे समय से नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी अब जमीनी स्तर से कट चुकी है और स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता नहीं दे रही है। इस स्थिति ने उन्हें मजबूर कर दिया कि वे अपने राजनीतिक भविष्य के लिए नए रास्ते तलाशें।

पाटिल ने बयान दिया, "मुझे कांग्रेस से व्यक्तिगत कोई शिकायती नहीं है, लेकिन क्षेत्र के हितों की उपेक्षा ने मुझे बीजेपी के साथ जुड़ने की प्रेरणा दी है।" यह बदलाव ना केवल उनके लिए, बल्कि उत्तर महाराष्ट्र के मतदाताओं के लिए भी बड़ा संकेत है कि राजनीतिक विश्वास और प्रतिबद्धता में बदलाव आ सकता है।

आज दोपहर 2 बजे कुणाल पाटिल बीजेपी में शामिल होंगे, जहां पार्टी के शीर्ष नेता मौजूद रहेंगे और इस मौके को बड़ी राजनीतिक सफलता के रूप में मनाएंगे। इस कदम से बीजेपी को उत्तर महाराष्ट्र में अपनी पकड़ मजबूत करने का अवसर मिलेगा, जबकि कांग्रेस के लिए यह एक चुनौती होगी कि वह अपने पुराने समर्थकों को खोने से कैसे बचे।