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Up Kiran, Digital Desk: आपको साल 2017 का वो भयानक उन्नाव रेप केस तो याद ही होगा, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस केस में बीजेपी से निकाले गए ताकतवर नेता कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा हुई और वह आज जेल में है। लेकिन सेंगर के जेल जाने के बाद भी उसका खौफ खत्म नहीं हुआ है।

पीड़िता का परिवार आज भी डर के साये में जी रहा है। हालात इतने खराब हैं कि पीड़िता की माँ को एक बार फिर अपनी और अपने परिवार की जान की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है।

क्या है पूरा मामला: पीड़िता की माँ ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा है कि उनकी और उनके परिवार की जान को "गंभीर खतरा" है। उन्होंने कोर्ट से गुहार लगाई है कि उनके परिवार को जो CRPF की सुरक्षा मिली हुई थी, उसे फिर से बहाल किया जाए।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 25 मार्च को एक आदेश में पीड़िता के परिवार और केस के दूसरे गवाहों को दी गई CRPF सुरक्षा हटा दी थी। कोर्ट ने यह कहते हुए सुरक्षा हटा दी थी कि अब तो दोषी कुलदीप सेंगर को उम्रकैद की सजा हो चुकी है, इसलिए अब शायद खतरा नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने खुद पीड़िता को मिली CRPF सुरक्षा को जारी रखा था, यह मानते हुए कि उस पर खतरा अभी भी बना हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से मांगा जवाब

मंगलवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पंकज मिथल और पीबी वराले की बेंच ने मामले को गंभीरता से लिया। कोर्ट ने तुरंत सुरक्षा बहाल करने का आदेश तो नहीं दिया, लेकिन दिल्ली सरकार को यह पता लगाने का निर्देश दिया है कि क्या वाकई पीड़िता की माँ और उनके परिवार को किसी तरह का खतरा है? कोर्ट ने दिल्ली सरकार को दो हफ्तों के अंदर इस पर एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

कब और क्यों मिली थी CRPF सुरक्षा?

यह मामला इतना संवेदनशील था कि 1 अगस्त, 2019 को खुद सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता, उसकी माँ, परिवार के दूसरे सदस्यों और उनके वकील को CRPF की सुरक्षा देने का आदेश दिया था। कोर्ट ने इस केस से जुड़े सभी पांच मामले लखनऊ से दिल्ली ट्रांसफर कर दिए थे और 45 दिनों के अंदर सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया था।

आज, जब दोषी सलाखों के पीछे है, तब भी परिवार का डरना यह बताता है कि न्याय की यह लड़ाई आज भी कितनी मुश्किल और खतरनाक है। अब सबकी निगाहें दिल्ली सरकार की रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के अगले फैसले पर टिकी हैं।