
उत्तराखंड की हवालात से एक चिंताजनक खबर सामने आई है। इसने स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन को हिलाकर रख दिया है। हरिद्वार और हल्द्वानी की जेलों में एचआईवी/एड्स के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। हाल ही में हरिद्वार की जेल में 23 कैदियों के एचआईवी पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई है। इस खुलासे के बाद जिला मजिस्ट्रेट ने तत्काल सभी कैदियों की स्वास्थ्य जांच की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। सवाल ये है कि आखिर जेल जैसे सख्त माहौल में कैदी इतनी गंभीर बीमारी की चपेट में कैसे आ रहे हैं और इससे निपटने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
कैसे फैल रहा है HIV
जेल प्रशासन के मुताबिक, बंदियों की नियमित स्वास्थ्य जांच का हिस्सा रहा है, जिसमें एचआईवी जैसी गंभीर बीमारियों की स्क्रीनिंग भी शामिल है। पिछले कुछ सालों में रूटीन जांच के दौरान हरिद्वार जेल में 23 कैदियों में एचआईवी की पुष्टि हुई। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक, ज्यादातर प्रभावित कैदी 20 से 30 साल की उम्र के हैं और इनमें से कई नशे की लत के शिकार हैं।
हल्द्वानी के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि जेल में एचआईवी का सबसे बड़ा कारण ड्रग्स का इंजेक्शन के जरिए इस्तेमाल है। अगर एक एचआईवी पॉजिटिव कैदी ड्रग्स लेने के लिए सुई का इस्तेमाल करता है और वही सुई तुरंत दूसरा कैदी उपयोग कर लेता है, तो वायरस फैलने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
जेल प्रशासन का रुख: अलग बैरक और इलाज की व्यवस्था
एचआईवी पॉजिटिव पाए गए कैदियों को आनन फानन अलग बैरक में स्थानांतरित कर दिया जाता है, ताकि वायरस के प्रसार को रोका जा सके। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, ऐसे कैदियों को एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) जैसी दवाएं दी जा रही हैं। ये एचआईवी को नियंत्रित करने में प्रभावी हैं। कुछ जेलों में मेडिकल स्टाफ की मौजूदगी और बेहतर देखभाल के कारण कैदियों को समय पर इलाज मिल रहा है। हालांकि, सभी जेलों में चिकित्सा सुविधाओं का स्तर एकसमान नहीं है, जिसके चलते कई बार इलाज में देरी की शिकायतें भी सामने आती हैं। घटना के बाद से प्रशासन से चौकसी और सख्ती बढ़ा दी है।
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