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Up Kiran, Digital Desk: गर्मी के बाद बारिश का मौसम राहत तो देता है, लेकिन अक्सर महिलाओं की त्वचा के लिए यह मुश्किलें लेकर आता है। हवा में बढ़ी हुई नमी और मौसम में अचानक बदलाव मुंहासों के लिए एक परफेक्ट माहौल बना देते हैं। अगर आप इसके पीछे की वजहों को समझ लें, तो इस मौसम में भी अपनी त्वचा को स्वस्थ और साफ रख सकती हैं।

कई महिलाओं को लगता है कि बारिश के मौसम में उनकी स्किन ज्यादा ऑयली हो जाती है और पिंपल्स निकलने लगते हैं, भले ही आमतौर पर उनकी स्किन ठीक रहती हो। तो आखिर ऐसा होता क्यों है? आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं।

ज़्यादा नमी और तेल का निकलना

मानसून के दौरान हवा में नमी बहुत बढ़ जाती है। इसकी वजह से त्वचा से पसीना ज्यादा निकलता है और त्वचा की तेल ग्रंथियां (oil glands) ज़्यादा तेल बनाने लगती हैं। जिन महिलाओं की स्किन पहले से ही ऑयली है, उनके लिए यह चिपचिपापन रोमछिद्रों (pores) को बंद कर देता है, जिसमें गंदगी और डेड स्किन सेल्स भी मिल जाते हैं। नतीजा? मुंहासे, व्हाइटहेड्स और ब्लैकहेड्स। यहां तक कि ड्राई स्किन वाली महिलाओं को भी अचानक अपनी त्वचा चिपचिपी महसूस हो सकती है।

पसीने और गंदगी से बंद होते रोमछिद्र

बारिश के मौसम में पसीना गर्मी की तरह जल्दी सूखता नहीं है। जब पसीना त्वचा पर ज़्यादा देर तक रहता है, तो वह गंदगी और बैक्टीरिया को अपनी ओर खींचता है। इससे रोमछिद्र बंद हो जाते हैं और मुंहासे निकलने लगते हैं। महिलाएं अक्सर मेकअप या सनस्क्रीन लगाती हैं, और अगर इसे ठीक से साफ न किया जाए, तो यह पसीने के साथ मिलकर समस्या को और बढ़ा देता है।

कमजोर हो जाती है स्किन की परत

बारिश के मौसम में हमारी त्वचा की प्राकृतिक सुरक्षा परत कमजोर हो जाती है। बार-बार नमी के संपर्क में आना, बारिश का पानी (जिसमें अक्सर प्रदूषण के तत्व होते हैं) और बाहर के मौसम से अचानक एयर कंडीशन वाले कमरे में जाना, त्वचा को संवेदनशील बना सकता है। जब स्किन की यह सुरक्षा परत कमजोर हो जाती है, तो वह बैक्टीरिया से नहीं लड़ पाती और मुंहासे पैदा करने वाले कीटाणु आसानी से पनपने लगते हैं।

 हॉर्मोन में बदलाव और तनाव

महिलाओं की त्वचा पर हॉर्मोन में होने वाले बदलावों का वैसे भी बड़ा असर पड़ता है। मानसून का उदास मौसम और धूप की कमी तनाव को बढ़ा सकती है। तनाव से शरीर में कोर्टिसोल नाम का हॉर्मोन निकलता है, जो तेल का उत्पादन बढ़ाकर मुंहासों को और खराब कर सकता है। महिलाएं हॉर्मोन के इन बदलावों के प्रति ज़्यादा संवेदनशील होती हैं, इसलिए उनकी त्वचा पर इसका असर जल्दी दिखता है।

फंगल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन

मानसून फंगल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन के लिए भी जाना जाता है। त्वचा ज़्यादा देर तक गीली रहती है, खासकर बालों के आसपास, जॉलाइन और पीठ पर। यह नमी बैक्टीरिया और फंगस को आकर्षित करती है, जिससे फॉलिकुलिटिस (बालों के रोम में सूजन) और फंगल एक्ने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। जो महिलाएं बारिश में भीगने के बाद त्वचा को ठीक से नहीं सुखातीं या टाइट कपड़े पहनती हैं, उन्हें इसका खतरा ज़्यादा होता है।

बारिश में मुंहासों से कैसे बचें?सौम्य क्लींजर का इस्तेमाल करें: दिन में दो बार एक हल्के, नॉन-कॉमेडोजेनिक (non-comedogenic) क्लींजर से अपना चेहरा धोएं ताकि पसीना, तेल और गंदगी निकल जाए।

हल्का मॉइस्चराइज़र लगाएं: नमी वाले मौसम में भी त्वचा को हाइड्रेशन की ज़रूरत होती है। जेल या पानी पर आधारित मॉइस्चराइज़र का इस्तेमाल करें।

एक्सफोलिएट करें: हफ्ते में एक या दो बार त्वचा को एक्सफोलिएट करें ताकि रोमछिद्र साफ रहें, लेकिन ज़्यादा ज़ोर से न रगड़ें।

साफ-सफाई का ध्यान रखें: सोने से पहले हमेशा मेकअप हटाएं और बारिश में भीगने के बाद त्वचा को अच्छे से सुखाएं।

संतुलित आहार लें: तला हुआ और मसालेदार खाना कम करें और अपनी डाइट में फल, सब्ज़ियां और अनाज शामिल करें।

पानी पिएं: भले ही आपको प्यास न लगे, फिर भी खूब पानी पिएं।