Up Kiran, Digital Desk: एप्पल ने अपने ऐप स्टोर से ‘ICEBlock’ और इसके जैसे कई दूसरे ट्रैकिंग ऐप्स को हटा दिया , जिसके बाद अमेरिका में, बोलने की आज़ादी और अप्रवासी अधिकारों को लेकर एक बड़ी बहस छिड़ गई है। यह कदम ट्रंप प्रशासन के सीधे दबाव के बाद उठाया गया है।
सरकार ने क्यों हटवाया यह ऐप: ICEBlock एक ऐसा ऐप था जो लोगों को यह बताता था कि उनके आस-पास अप्रवासन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) के एजेंट कहाँ सक्रिय हैं। अमेरिका के न्याय विभाग और होमलैंड सिक्योरिटी ने चिंता जताई थी कि यह ऐप संघीय एजेंटों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा ख़तरा है।
गुरुवार को एप्पल ने एक बयान में कहा, "कानून प्रवर्तन से ICEBlock से जुड़े सुरक्षा जोखिमों के बारे में जानकारी मिलने के बाद, हमने इसे और इसके जैसे दूसरे ऐप्स को ऐप स्टोर से हटा दिया है।"
यह फ़ैसला अमेरिकी अटॉर्नी जनरल पाम बोंडी के अनुरोध के बाद आया, जिन्होंने कहा था कि यह ऐप ICE एजेंटों को सिर्फ़ अपना काम करने के लिए ख़तरे में डाल सकता है। उन्होंने कहा, "कानून प्रवर्तन के ख़िलाफ़ हिंसा एक ऐसी असहनीय लाल रेखा है, जिसे पार नहीं किया जा सकता।"
मामले का दूसरा पहलू: नागरिक अधिकारों का हनन?
यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब ट्रंप प्रशासन अपने दूसरे कार्यकाल में अप्रवासन को लेकर बेहद सख्त रुख अपना रहा । देशभर में ICE के छापे बढ़ गए, जिनमें न केवल बिना दस्तावेज़ वाले प्रवासियों, बल्कि वीज़ा धारकों और स्थायी निवासियों को भी निशाना बनाया जा रहा है।
वहीं, मानवाधिकार समूहों का कहना है कि ICEBlock जैसे ऐप्स को हटाना बोलने की आज़ादी और कानूनी प्रक्रिया पर एक चिंताजनक हमला है। उनका तर्क का इस्तेमाल अप्रवासी समुदाय ख़ुद को छापों के लिए तैयार करने और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए करते थे, न कि कानून में बाधा डालने के लिए।
एक अप्रवासी अधिकार कार्यकर्ता ने कहा, "जिन उपकरणों का इस्तेमाल समुदाय अपनी सुरक्षा के लिए करता है, उन्हें चुप कराना भरोसे को कमज़ोर करता है और परिवारों को और भी ज़्यादा असहाय बना देता है।"
Apple पर उठ रहे हैं सवाल: इस पूरे विवाद ने एप्पल और ट्रंप प्रशासन के रिश्तों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। एप्पल हमेशा से ख़ुद को प्राइवेसी और अभिव्यक्ति की आज़ादी के रक्षक के तौर पर पेश करता रहा है, लेकिन न्याय विभाग के एक अनुरोध पर इतनी जल्दी झुक जाने से यह संदेह पैदा हो गया है कि क्या कंपनी के सिद्धांत राजनीतिक दबाव के आगे टिक पाते हैं।
यह घटना इस बात का जीता-जागता सबूत है कि आज के अमेरिका में टेक्नोलॉजी, राजनीति और नागरिक अधिकार किस तरह आपस में टकरा रहे हैं। फ़िलहाल, ऐप स्टोर पर ‘ICEBlock’ को खोजने वाले यूज़र्स को निराशा ही हाथ लगेगी—और यह इस बात की याद दिलाता रहेगा कि बड़ी टेक कंपनियाँ अक्सर सरकार और जनता के भरोसे के बीच एक दोधारी तलवार पर चलती हैं।
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