Manipur Violence: पिछले डेढ़ साल से पूर्वोत्तर भारत का राज्य मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है। इस हिंसा में सैकड़ों नागरिक मारे गए हैं। इस बीच, मणिपुर में हुए इस हिंसक संघर्ष पर मुख्यमंत्री बीरेन ने दुख जताया है। बीरेन सिंह ने राज्य की जनता से माफी मांगी। इसके बाद कांग्रेस ने बीजेपी पर पलटवार किया। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर का दौरा क्यों नहीं कर रहे हैं? इस सवाल का जवाब भी दिया है।
मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह ने सोशल मीडिया पर एक लंबा पोस्ट लिखा है और राज्य के मौजूदा हालात के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने जयराम रमेश को जवाब देते हुए लिखा कि कांग्रेस ने अतीत में कुछ गलतियां की हैं। तो सब जानते हैं कि मणिपुर आज सुलग रहा है। बर्मा से मणिपुर में शरणार्थियों का बार-बार पुनर्वास, 2008 में म्यांमार स्थित उग्रवादियों के साथ ऑपरेशन समझौते का निलंबन कुछ कारण हैं। इस समझौते पर केंद्र सरकार, मणिपुर सरकार और 25 कुकी सशस्त्र उग्रवादी समूहों के साथ हस्ताक्षर किए गए थे। उस समय पी. चिदम्बरम देश के गृह मंत्री थे। इसके बाद हर साल समझौते को बढ़ाया जा रहा है।
एन। बीरेन सिंह ने आगे कहा कि मैं आपको यह भी याद दिलाना चाहूंगा कि मणिपुर में नागा और कुकी सांप्रदायिक संघर्ष में लगभग 13 हजार लोग मारे गए थे। और हजारों लोग चकित हो गये। यह हिंसक संघर्ष 1992 से 1997 तक चलता रहा। सबसे अधिक हिंसा 1992-1993 में हुई। यह उत्तर पूर्व भारत में सबसे खराब सांप्रदायिक संघर्ष का काल था। परिणामस्वरूप, नागा और कुकी समुदायों के बीच संबंध ख़राब हो गए। फिर 1991 से 1996 की अवधि में प. वी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे। वह कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। बीरेन सिंह ने पूछा क्या वे इस संघर्ष के दौरान मणिपुर आये थे? क्या उन्होंने माफ़ी मांगी?
उन्होंने आगे कहा कि 1997-1998 में राज्य में कुकी-पाइते सांप्रदायिक संघर्ष हुआ था। इस संघर्ष में 350 लोग मारे गये। उस समय इंद्रकुमार गुजराल प्रधानमंत्री थे। क्या तब उन्होंने मणिपुर आकर लोगों से माफ़ी मांगी थी? कांग्रेस मणिपुर की मूल समस्याओं को हल करने के बजाय हमेशा इस मुद्दे का राजनीतिकरण क्यों करती है?
--Advertisement--