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Mumbai floods: हर साल मानसून भारत को खतरनाक गर्मी से राहत दिलाता है। मानसून की बारिश सबसे पहले महाराष्ट्र सहित पश्चिमी तटीय क्षेत्रों में होती है। राहत की यह सांस जल्द ही मुंबई के लिए भयावह हो जाती है क्योंकि बारिश के कारण गंभीर जलभराव हो जाता है, जिससे शहर का दैनिक जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।

बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के अनुसार, वकोला, सेवरी घाटकोपर और कांदिवली समेत कुछ क्षेत्रों में 26 जुलाई को सुबह 8 बजे तक 24 घंटों में 130 मिमी से अधिक की भारी बारिश हुई।

इस बीच, पवई झील अपनी पूरी क्षमता पर पहुंच गई। कई इलाकों में स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए हैं, जबकि लगातार बारिश के कारण गुरुवार को 11 उड़ानें रद्द कर दी गईं और 10 अन्य को पास के हवाई अड्डों पर भेज दिया गया। कई इलाकों में जलभराव की स्थिति और भी खराब हो गई है। आईये जानते हैं वो कारण जिसकी वजह से हर साल मुंबई डूब जाती है।

पहली वजह- मुंबई के ज़्यादातर हिस्से पुनः प्राप्त भूमि हैं, यानी शहर के सात द्वीपों को जोड़ने के लिए समुद्र को समतल करके बनाए गए हैं। इस वजह से शहर के कुछ हिस्से निचले इलाके हैं जबकि कुछ ऊंचे हैं। मूसलाधार बारिश के कारण ऊंचे इलाकों का पानी निचले इलाकों में बहता है जिससे जलभराव होता है। सायन, अंधेरी सबवे, मिलन सबवे और खार सबवे कुछ निचले इलाके हैं जो सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं।

दूसरी वजह- जल निकासी व्यवस्था शहर से वर्षा जल को बाहर निकालने में नाकाम साबित हो रही है। 140 साल पुरानी जल निकासी व्यवस्था तब सफल रही थी जब शहर का क्षेत्रफल आज की तुलना में लगभग आधा था। शहर में बढ़ती भीड़ और कम रिसने वाले क्षेत्रों ने जल निकासी व्यवस्था पर ज्यादा ध्यान देने बंद कर दिया है।

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