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Up Kiran, Digital Desk: नरली पूर्णिमा (Narali Purnima), जिसे नारियल पूर्णिमा (Nariyal Purnima) के नाम से भी जाना जाता है, महाराष्ट्र और भारत के तटीय क्षेत्रों में मनाए जाने वाले एक महत्वपूर्ण त्योहार है। श्रावण (Shravan) महीने की पूर्णिमा (Purnima) के दिन मनाया जाने वाला यह त्योहार, वर्षा ऋतु के अंत (end of monsoon season) और मछली पकड़ने के मौसम (fishing season) की शुरुआत का प्रतीक है। (Source Text context implies this importance)

क्यों मनाते हैं नरली पूर्णिमा? इस दिन, समुद्र की पूजा (worship of the sea) विशेष रूप से की जाती है, जिसमें भगवान विष्णु (Lord Vishnu), जिन्हें नारायण (Narayan) के रूप में भी पूजा जाता है, और समुद्र देवता वरुण (Lord Varuna) का आभार व्यक्त किया जाता है। मुख्य परंपरा नारियल (coconut) को समुद्र में अर्पित (offering coconuts to the sea) करने की है, जो शुद्धता, समृद्धि और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। मछुआरे समुदाय (fishing communities) के लिए यह त्योहार विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह उन्हें नई आशाओं और बेहतर फसल (bountiful catch) की कामना के साथ नए मौसम की शुरुआत का संकेत देता है।

शुभकामनाएं और उल्लास का पर्व: त्योहार के इस अवसर पर, लोग एक-दूसरे को प्यार और स्नेह (love and affection) के साथ नरली पूर्णिमा की शुभकामनाएं (Narali Purnima wishes) भेजते हैं। यह दिन पारिवारिक मेलजोल, सामुदायिक उत्सव (community celebration) और महाराष्ट्र की समृद्ध संस्कृति (rich culture of Maharashtra) की झलक प्रस्तुत करता है। (Source Text implies sharing wishes and images). लोग अक्सर रंग-बिरंगे कपड़े पहनते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएं और बधाई (wishes and greetings) देते हैं, जो त्योहार की खुशी को बढ़ाते हैं।

2025 में नरली पूर्णिमा:हर साल की तरह, 2025 में भी यह त्योहार अपने पूरे उल्लास के साथ मनाया जाएगा, जिसमें नारियल चढ़ाने की रस्में, भगवान की पूजा-अर्चना और प्रियजनों को शुभकामनाएं भेजने का चलन शामिल रहेगा। यह पर्व अपने आप में कई परंपराओं और विश्वासों को समेटे हुए है, जो इसे खास बनाते हैं।

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