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मऊ सदर विधानसभा सीट पर हाल ही में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। यहाँ के मौजूदा विधायक अब्बास अंसारी—जो माफिया नेता मुख्तार अंसारी के बेटे हैं—को “हेट स्पीच” मामले में दो साल की सजा मिलने के बाद उनकी सदस्यता ही समाप्त कर दी गई। ऐसे में छह माह के भीतर इस सीट पर उपचुनाव होगा  ।

ओपी राजभर का दावा

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष और सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि मऊ सीट उनके पार्टी का अधिकार है, जिसे सुभासपा ही लड़ेगी—भले ही अब्बास अंसारी या उनके परिवार से कोई प्रत्याशी न हो  । सरकार द्वारा सीट रिक्त घोषित कर दिए जाने के तुरंत बाद राजभर ने आश्वासन दिया कि अगर जरूरत पड़ी तो वे हाईकोर्ट तक जाएंगे  ।

क्या है भूमिका‑भूमिका?

राजभर का कहना है कि मऊ सीट पहले भी सुभासपा को मिली थी, और सत्ताधारी गठबंधन (NDA) में शामिल होने के बाद भी उनका दावा मजबूत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भीतरू सहयोगी बीजेपी अगर उम्मीदवार मैदान में उतारती है, तो सुभासपा सीट की लड़ाई पूर्ण रूप से लड़ेगी  ।

माफिया‑राजनीति का संदर्भ

पूर्व बाहुबली नेता बृजेश सिंह का नाम आंदोलन के केंद्र में है। राजभर ने तंज कसा कि अगर बीजेपी उन्हें एमएलसी बना सकती है, तो सुभासपा को क्यों नहीं? इसका मकसद साफ़ है—माफिया‑राजनीति पर सवाल खड़े करना और राजनीतिक दायरे में पारदर्शिता की पुकार करना  ।

कौन बढ़ा? कौन मुड़ा?

बीजेपी मऊ पर अपनी पकड़ मजबूत करने की तैयारी में है, खासकर मुस्लिम बहुल इलाके में। फिर भी, वास्तविक मुकाबला सुभासपा और गठबंधन साथी बीजेपी के बीच ही दिखता है  ।

सपा भी मैदान में उतरने की दहाड़ में है, हालांकि मऊ पर उनकी पकड़ कमजोर हो सकती है क्योंकि सीट पर पारम्परिक रूप से अंसारी परिवार का वर्चस्व रहा है  ।

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