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Up Kiran, Digital Desk: भारत में लाखों युवाओं का सपना होता है कि वे UPSC की परीक्षा पास कर IAS या IPS जैसे प्रतिष्ठित पदों तक पहुंचे। हालांकि, यह सफर आसान नहीं होता, और बहुत से प्रयासों के बावजूद कुछ ही लोग इस लक्ष्य को हासिल कर पाते हैं। लेकिन कुछ युवा ऐसे होते हैं, जो कम उम्र में ही ये मुकाम हासिल कर चर्चा का विषय बन जाते हैं। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के जिलाधिकारी (DM) प्रतीक जैन उन में से एक हैं।

प्रतीक जैन: उत्तराखंड के सबसे युवा डीएम

प्रतीक जैन का जन्म 25 जुलाई 1993 को राजस्थान के अजमेर में हुआ। मात्र 25 साल की उम्र में UPSC की परीक्षा पास करके उन्होंने IAS अधिकारी बनने का सपना साकार किया। प्रतीक ने 2018 में UPSC की परीक्षा में 86वीं रैंक प्राप्त की थी, और यह उनका दूसरा प्रयास था। कम उम्र में उनकी कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता ने उन्हें एक प्रेरणास्त्रोत बना दिया है।

हाल ही में, प्रतीक जैन ने केदारनाथ यात्रा की पूरी व्यवस्था संभाली, जहां वे न केवल प्रशासनिक कार्यों में लगे हुए थे, बल्कि आम यात्रियों की तरह खुद भी यात्रा पर निकले थे। इस दौरान उनके कई वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं। प्रतीक का जोश और कड़ी मेहनत उन्हें उत्तराखंड के सबसे युवा और प्रभावशाली अधिकारियों में से एक बनाता है।

मंगेश घिल्डियाल: उत्तराखंड के दिलों में बसे डीएम

प्रतीक जैन से पहले रुद्रप्रयाग शहर में तैनात एक और जिलाधिकारी ने अपनी कार्यशैली से खूब सुर्खियां बटोरी थीं। मंगेश घिल्डियाल, जो 2011 बैच के IAS अधिकारी हैं, अपने काम के अनोखे और प्रभावशाली तरीकों के लिए जाने जाते हैं। मंगेश का नाम न केवल उनके अधिकारियों के बीच, बल्कि आम जनता में भी बहुत सम्मानित है। जब भी उन्हें किसी जिले में तैनात किया गया, वहाँ के लोग उनके काम की सराहना करते थे।

मंगेश की खास बात यह थी कि वे जनता से सीधे संवाद करते थे, चौपाल लगाते थे, और आम आदमी की तरह उनकी समस्याओं को सुनते थे। जब मंगेश की रुद्रप्रयाग से ट्रांसफर की खबर आई, तो लोगों की आंखों में आंसू थे। इससे पहले भी जब उनका ट्रांसफर हुआ, लोग सड़कों पर उतर आए थे, क्योंकि वे उनके काम से बहुत प्रभावित थे।

मंगेश घिल्डियाल का UPSC सफर

मंगेश घिल्डियाल ने UPSC की परीक्षा बिना कोचिंग के दी थी, और पहले ही प्रयास में आईपीएस पद पर चयनित हो गए थे। लेकिन उनका सपना IAS बनने का था, और इसलिए उन्होंने फिर से 2011 में परीक्षा दी, इस बार चौथी रैंक हासिल की। इसके बाद उन्होंने उत्तराखंड में प्रशासनिक सेवा में काम करने का निर्णय लिया।