img

Up Kiran, Digital Desk: बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। सुप्रीम कोर्ट में आज इस मुद्दे की सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने चुनाव आयोग की कार्रवाई पर टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग का कदम उचित है, लेकिन इसे समय से पहले लागू करने पर सवाल उठ रहे हैं। विशेष रूप से, कोर्ट ने यह चिंता जताई कि जिन लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं, उनके पास अपनी आपत्ति दर्ज कराने के लिए पर्याप्त समय नहीं होगा।

मतदाता सूची के पुनरीक्षण में क्या होता है?

चुनाव आयोग का मुख्य कार्य न केवल चुनाव कराना बल्कि मतदाता सूची का समय-समय पर अद्यतन करना भी है। इसके तहत अगर कोई व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हो जाता है या फिर उसने अपने निवास स्थान को बदल लिया है, तो उसका नाम सूची से हटा दिया जाता है। वही, जो नए मतदाता बनते हैं, जैसे 18 वर्ष के युवा, उनके नाम मतदाता सूची में शामिल किए जाते हैं। चुनाव आयोग यह पुनरीक्षण हर चुनाव से पहले करता है। हालांकि, इस बार बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण का निर्णय लिया गया है, जो कि 2003 के बाद से पहली बार हो रहा है।

किसे नहीं दिखानी होगी दस्तावेज़?

संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत, जिन व्यक्तियों के नाम 1 जनवरी 2003 की मतदाता सूची में थे, उन्हें पुनरीक्षण के दौरान कोई दस्तावेज़ दिखाने की आवश्यकता नहीं होगी। यह वह लोग हैं जो पहले से वोटर लिस्ट में शामिल थे। ऐसे लगभग 4.96 करोड़ मतदाता इस सूची का हिस्सा होंगे। इसके लिए कोई कागजी प्रक्रिया नहीं होगी, और इन मतदाताओं को गहन पुनरीक्षण में शामिल करने के लिए मात्र गणना प्रपत्र की जरूरत होगी।

वोटर लिस्ट से नाम क्यों कटेंगे?

रिवीजन के दौरान, जो मतदाता फर्जी हैं या जिनका नाम गलत तरीके से जोड़ा गया है, उनके नाम हटा दिए जाएंगे। यह प्रक्रिया न्यायसंगत और आवश्यक है ताकि चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष रखा जा सके। हालांकि, इस संदर्भ में एक समस्या है। 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया था, जिसके अनुसार यदि किसी व्यक्ति का नाम वोटर लिस्ट में शामिल है, तो उसे हटा नहीं सकते। इस पर कुछ लोगों का कहना है कि यह नया कदम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है।

वोटर लिस्ट से नाम हटाने की प्रक्रिया

मतदाता सूची से किसी का नाम हटाने के लिए पूरी प्रक्रिया का पालन करना होता है। पहले, चुनाव अधिकारी की ओर से ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया जाता है, जिसमें उस क्षेत्र के लोग किसी भी मतदाता के नाम पर आपत्ति उठा सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति अपनी आपत्ति दर्ज करता है, तो उसके बाद नोटिस भेजी जाती है। अगर उस नोटिस का जवाब नहीं मिलता, तो मतदाता का नाम हटा दिया जाता है। यह प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है।

बिहार में क्या हैं लूपहोल्स?

बिहार में आगामी वोटर लिस्ट रिवीजन में यह संभावना जताई जा रही है कि कई फर्जी मतदाताओं के नाम काटे जाएंगे। इन मतदाताओं के पास अपनी भारतीय नागरिकता को साबित करने के लिए जरूरी दस्तावेज़ नहीं होंगे, और उन्हें सूची से हटा दिया जाएगा। हालांकि, इस प्रक्रिया में एक अहम समस्या है। ऐसा माना जा रहा है कि कुछ असली मतदाताओं का नाम भी गलत तरीके से कट सकता है, जिससे उनकी भागीदारी प्रभावित हो सकती है।

--Advertisement--

bihar Bihar Election Bihar Voter List Bihar Election Voter List Revision Bihar Voter List Intensive Revision Bihar Voter List Revision Bihar Voters Election Commission election commission check in voter list revision how someone name can be omission in voter list Bihar Election Bihar election voter list indian citizenship documents Bihar Election Bihar election voter list Bihar Election Voter List Revision Bihar Election Voter List Revision Controversy Bihar Election Voters बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन बिहार में वोटिंग लिस्ट रिवीजन क्या है बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन क्यों हो रहा है वोटिंग लिस्ट रिवीजन में चुनाव आयोग क्या देखता है वोटर लिस्ट से नाम कैसे काटे जाते हैं वोटिंग लिस्ट में नाम कैसे जोड़ें बिहार चुनाव चुनाव आयोग नितीश कुमार बिहार इलेक्शन वोटर लिस्ट बिहार चुनाव में वोटर लिस्ट स्क्रीनिंग बिहार चुनाव में वोटर लिस्ट स्क्रीनिंग विवाद बिहार वोटर विवाद क्या है बिहार वोटर विवाद