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Up Kiran, Digital Desk: सावन का पवित्र महीना हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित होता है। यह महीना भगवान शिव की भक्ति, पूजा-अर्चना और व्रत-उपवास के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दौरान बड़ी संख्या में भक्त शिव मंदिरों में जल चढ़ाने जाते हैं और आध्यात्मिक गतिविधियों में लीन रहते हैं। सावन माह में मांसाहार के सेवन से परहेज करने की परंपरा सदियों पुरानी है। इसके पीछे न केवल गहरे धार्मिक और आध्यात्मिक कारण हैं, बल्कि आधुनिक विज्ञान भी कुछ हद तक इस बात का समर्थन करता है।

धार्मिक और आध्यात्मिक कारण:

शिव की भक्ति और सात्विकता: सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता है। इस दौरान भक्त शिव की कृपा पाने के लिए व्रत रखते हैं और सात्विक भोजन करते हैं। मांसाहार को तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा जाता है, जो मन को चंचल और शरीर को भारी बनाता है। सावन में आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाने और मन की शुद्धता बनाए रखने के लिए सात्विक आहार को प्राथमिकता दी जाती है।

अहिंसा और करुणा: हिंदू धर्म में अहिंसा को परम धर्म माना गया है। सावन जैसे पवित्र महीने में जीवों के प्रति दया और करुणा का भाव बनाए रखने पर विशेष जोर दिया जाता है। मांसाहार के लिए जीवों की हत्या की जाती है, जो इस पवित्र महीने की भावना के विपरीत माना जाता है।

सकारात्मक ऊर्जा का संचार: व्रत-उपवास और सात्विक भोजन शरीर और मन को शुद्ध करता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मांसाहार का सेवन इस आध्यात्मिक प्रक्रिया में बाधा डाल सकता है।

प्रकृति से जुड़ाव: सावन का महीना प्रकृति के नवजीवन का प्रतीक है। इस दौरान हरियाली चारों ओर फैल जाती है। ऐसे समय में प्रकृति के करीब रहने और उसके शुद्ध रूप का सम्मान करने के लिए भी शाकाहारी भोजन को बेहतर माना जाता है।

वैज्ञानिक और स्वास्थ्य संबंधी कारण:

पाचन तंत्र की संवेदनशीलता (Weak Digestion): मानसून के मौसम में वातावरण में नमी बढ़ जाती है, जिससे हमारा पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है। मांसाहार पचने में भारी होता है और इसे पचाने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। कमजोर पाचन तंत्र के लिए इसे पचाना मुश्किल हो सकता है, जिससे पेट संबंधी समस्याएं जैसे अपच, गैस और एसिडिटी हो सकती है।

संक्रमण का खतरा (Risk of Infection): बारिश के मौसम में बैक्टीरिया और वायरस तेजी से पनपते हैं। मांस और मछली जैसे मांसाहारी खाद्य पदार्थों में इस दौरान बैक्टीरिया के दूषित होने का खतरा अधिक होता है, खासकर जब उन्हें ठीक से स्टोर या पकाया न जाए। इससे फूड पॉइजनिंग और अन्य जल जनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

मक्खी-मच्छरों का प्रकोप: मानसून में मक्खी-मच्छरों की संख्या बढ़ जाती है, जो खुले में रखे मांसाहारी भोजन पर बैठकर संक्रमण फैला सकते हैं।

रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity): हल्के और सुपाच्य शाकाहारी भोजन का सेवन इस मौसम में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखने में मदद करता है, जबकि भारी मांसाहार शरीर पर अनावश्यक बोझ डाल सकता है।

इन धार्मिक और वैज्ञानिक कारणों को देखते हुए, सावन के महीने में मांसाहार से परहेज करना न केवल आपकी आध्यात्मिक यात्रा को मजबूत करता है, बल्कि आपके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है। यह एक प्राचीन परंपरा है, जिसके पीछे गहरा ज्ञान और जीवन शैली से जुड़े सबक छिपे हैं।

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