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Up Kiran, Digital Desk: केंद्र सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संरचना में अहम सुधार करने की योजना बना रही है। वित्त मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, प्रस्तावित बदलावों से करीब 40 हजार करोड़ रुपये तक का राजस्व नुकसान हो सकता है। इस बदलाव का असर न सिर्फ केंद्र, बल्कि राज्य सरकारों की आमदनी पर भी देखा जाएगा। जीएसटी सचिवालय की फिटमेंट कमेटी ने इसके प्रारंभिक आकलन की एक रिपोर्ट तैयार की है।

कर संरचना होगी सरल, तीन स्लैब रहेंगे लागू

नई प्रणाली में जीएसटी दरों को सरलीकृत करने की योजना है। मौजूदा कई स्लैब के बदले केवल तीन दरें लागू होंगी – 5 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 40 प्रतिशत। 40 प्रतिशत की दर खासतौर पर सिगरेट और तंबाकू जैसे ‘सिन गुड्स’ पर लागू होगी। वहीं, 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत वाले स्लैब पूरी तरह समाप्त किए जाने की संभावना है। यह प्रस्ताव 20 और 21 अगस्त को आयोजित मंत्रियों के समूह (GoM) की बैठक में मंजूर भी कर लिया गया।

ऑनलाइन गेमिंग से घटेगा टैक्स कलेक्शन

एक और बड़ा असर ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म पर देखने को मिलेगा। हाल ही में सरकार ने इस सेक्टर पर सख्ती बढ़ाने और इन गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए कानूनी कदम उठाए हैं। अनुमान है कि इस कारण सिर्फ ऑनलाइन गेमिंग से ही जीएसटी और टीडीएस के जरिए मिलने वाला करीब 20 हजार करोड़ रुपये का राजस्व घट सकता है।

स्वास्थ्य और बीमा प्रीमियम पर राहत का संकेत

सरकार आम लोगों को सीधी राहत देने के लिए स्वास्थ्य बीमा और जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी समाप्त करने पर विचार कर रही है। यदि यह लागू होता है, तो लाखों परिवारों को खर्च घटने का फायदा मिलेगा। मंत्रालय का मानना है कि फिलहाल जो नुकसान राजस्व में होगा, वह उपभोक्ता खर्च बढ़ने से धीरे-धीरे भरपाई कर लेगा।

दशहरे तक लागू हो सकते हैं नए स्लैब

जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक 3 और 4 सितंबर को दिल्ली में बुलाई गई है। इससे पहले 2 सितंबर को सचिवालय के अधिकारी इस पर विस्तृत चर्चा करेंगे। सरकार की कोशिश है कि अगर सभी प्रक्रियाएं समय पर पूरी हो जाती हैं, तो अक्टूबर की शुरुआत, यानी दशहरे तक नई दरें लागू कर दी जाएं।

प्रधानमंत्री का ऐलान और राजनीतिक संदेश

15 अगस्त को लाल किले से स्वतंत्रता दिवस के भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बदलाव का संकेत देते हुए कहा था कि अगली पीढ़ी का जीएसटी रिफॉर्म लागू किया जाएगा, जिससे आम नागरिक पर कर का बोझ कम होगा। उन्होंने इसे देशवासियों के लिए आने वाले त्योहारों पर "तोहफा" करार दिया था।