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Up Kiran, Digital Desk: लद्दाख में हाल ही में हुई हिंसा के दौरान शिक्षा सुधारक और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी का मामला अब देश की सबसे बड़ी अदालत तक पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट आज, यानी सोमवार को, उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें वांगचुक की गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है।

क्या है पूरा मामला: यह विवाद लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन से जुड़ा है। सोनम वांगचुक इस आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा रहे हैं।

पिछले महीने, लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (LAHDC) के चुनावों की घोषणा के बाद लेह में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। 28 सितंबर को हुए इन प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क उठी, जिसमें कई पुलिसकर्मियों सहित 40 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इसी हिंसा के बाद प्रशासन ने सोनम वांगचुक सहित कई अन्य नेताओं और प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया था।

सुप्रीम कोर्ट में क्यों दी गई चुनौती: सोनम वांगचुक की पत्नी, गेसेलिन गेरेबेट-वांगचुक और अन्य याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर इस गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया है। याचिका में निम्नलिखित प्रमुख दलीलें दी गई हैं:

गिरफ्तारी असंवैधानिक है: याचिका में कहा गया है कि यह गिरफ्तारी "मनमानी और असंवैधानिक" है और यह वांगचुक के मौलिक अधिकारों का हनन करती है।

लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर हमला: याचिका के अनुसार, वांगचुक की गिरफ्तारी का उद्देश्य "शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित करना" और प्रदर्शनकारियों को डराना-धमकाना है, ताकि वे चुनावों में भाग न ले सकें।

NIA जांच की मांग: याचिकाकर्ताओं ने न केवल वांगचुक की तत्काल रिहाई की मांग की है, बल्कि 28 सितंबर को हुई हिंसा की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) जैसी किसी स्वतंत्र संस्था से कराने की भी अपील की है। उनका आरोप है कि हिंसा के पीछे एक "गहरी साजिश" थी।

याचिका में यह भी कहा गया है कि सोनम वांगचुक हमेशा से शांतिपूर्ण और अहिंसक विरोध के पक्षधर रहे हैं और हिंसा में उनकी कोई भूमिका नहीं थी।

अब सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि क्या सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी कानून के मुताबिक सही थी या नहीं। इस मामले पर कोर्ट का रुख लद्दाख में चल रहे आंदोलन और वहां की राजनीतिक स्थिति पर महत्वपूर्ण असर डाल सकता है।