img

Up kiran,Digital Desk : हम अक्सर सुनते हैं कि अमीर और अमीर होते जा रहे हैं और गरीब और गरीब। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह सिर्फ एक कहावत नहीं, बल्कि एक डरावनी सच्चाई है? 'वैश्विक असमानता रिपोर्ट-2026' ने कुछ ऐसे आँकड़े पेश किए हैं, जो बताते हैं कि हमारे देश और दुनिया में अमीर और गरीब के बीच की खाई कितनी गहरी हो चुकी है।

भारत की चौंकाने वाली तस्वीर: 1% लोगों के पास 40% दौलत

  • इस केक का 40% हिस्सा देश के सिर्फ 1% सबसे अमीर लोगों के पास है।
  • और अगर हम देश के 10% अमीर लोगों को मिला दें, तो वे इस केक का 65% हिस्सा अपने पास रखते हैं।

अब सोचिए, बाकी 90% आबादी के पास क्या बचता है?

  • देश की कुल कमाई का 58% हिस्सा सिर्फ 10% अमीर लोग कमाते हैं।
  • जबकि देश की आधी से ज़्यादा यानी 50% गरीब आबादी को कुल कमाई का सिर्फ 15% हिस्सा ही मिल पाता है।

महिलाओं की हालत और भी खराब

रिपोर्ट इस बात पर भी चिंता जताती है कि भारत में काम करने वाली महिलाओं की संख्या बहुत कम है और पिछले 10 सालों में इसमें कोई सुधार नहीं हुआ है। यानी 100 में से सिर्फ 15-16 महिलाएं ही वर्कफोर्स का हिस्सा हैं। यह दिखाता है कि हम लैंगिक समानता से अभी मीलों दूर हैं।

यह सिर्फ भारत की नहीं, पूरी दुनिया की कहानी है

  • दुनिया के 0.001% महा-अमीर लोगों (लगभग 60,000 लोग) के पास इतनी दौलत है, जितनी दुनिया की आधी गरीब आबादी के पास भी नहीं है।
  • अगर महिलाओं की कमाई को देखें, तो घर के बिना पैसे वाले कामों (जैसे खाना बनाना, बच्चों की देखभाल) को हटा दें, तो वे पुरुषों के मुकाबले एक घंटे का 62% कमाती हैं। लेकिन अगर उस काम को भी जोड़ लें, तो उनकी कमाई घटकर सिर्फ 32% रह जाती है। यह दिखाता है कि उनके काम की कोई कीमत ही नहीं समझी जाती।

तो अब सवाल उठता है कि इसका हल क्या है?

इस रिपोर्ट को तैयार करने वाले मशहूर अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी कहते हैं कि हमें इस बारे में लगातार बात करनी होगी। सरकारें इस खाई को कम कर सकती हैं। इसका एक तरीका है प्रगतिशील टैक्स, यानी अमीरों से उनकी कमाई के हिसाब से ज़्यादा टैक्स लेना और उस पैसे का इस्तेमाल गरीबों के लिए सामाजिक योजनाओं पर करना, ताकि उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार के बेहतर मौके मिल सकें।

यह सिर्फ आंकड़ों की लड़ाई नहीं है, यह एक बेहतर और बराबर समाज बनाने की लड़ाई है, जहाँ हर किसी को आगे बढ़ने का हक मिले, न कि सिर्फ चंद लोगों को।