_1839639455.png)
Up Kiran, Digital Desk: 2010 से 2020 के बीच वैश्विक धार्मिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। मुस्लिम समुदाय इस दशक में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला धर्म बना है, जबकि ईसाई धर्म, भले ही अभी भी दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समूह है, परंतु उसकी जनसंख्या में प्रतिशत के लिहाज़ से गिरावट दर्ज की गई है। यह खुलासा प्रतिष्ठित संस्था प्यू रिसर्च सेंटर की एक व्यापक रिपोर्ट में हुआ है, जिसका शीर्षक है: ‘2010 से 2020 तक वैश्विक धार्मिक परिदृश्य में बदलाव’।
मुस्लिम जनसंख्या में रिकॉर्ड तोड़ इज़ाफा
रिपोर्ट बताती है कि मुस्लिमों की संख्या में 34.7 करोड़ की वृद्धि दर्ज की गई, जो अन्य सभी धर्मों के संयुक्त आंकड़े से भी ज़्यादा है। 2010 में जहाँ दुनिया की 23.9% आबादी मुस्लिम थी, वहीं 2020 तक यह आंकड़ा बढ़कर 25.6% हो गया।
इस बढ़ोतरी के पीछे प्रमुख कारण हैं:
उच्च प्रजनन दर
युवा आबादी (औसत आयु 24 वर्ष, जो गैर-मुस्लिमों के 33 वर्ष के औसत से काफी कम है)
कम धर्म-परिवर्तन दर
विशेष रूप से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में मुस्लिम जनसंख्या में 16.2% की वृद्धि दर्ज की गई है। मध्य पूर्व और उत्तर अफ्रीका में मुस्लिमों की हिस्सेदारी 94% से अधिक है, जबकि उप-सहारा अफ्रीका में यह 33% के करीब है।
हिंदू समुदाय की स्थिर बढ़त
हिंदू धर्म की बात करें तो इस दशक में वैश्विक हिंदू आबादी में 12% की वृद्धि देखी गई, जो विश्व जनसंख्या वृद्धि दर के लगभग बराबर है। 2020 में हिंदुओं की कुल संख्या 1.2 अरब रही, जो दुनिया की लगभग 14.9% आबादी है।
भारत में हालांकि हिंदुओं का प्रतिशत 2010 के 80% से घटकर 2020 में 79% रह गया है, जबकि मुस्लिम आबादी 14.3% से बढ़कर 15.2% हो गई। भारत में मुस्लिम जनसंख्या में 3.56 करोड़ की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
ध्यान देने वाली बात यह है कि हिंदू धर्म में धर्म-परिवर्तन की दर अत्यंत कम है और उनकी प्रजनन दर भी वैश्विक औसत के समकक्ष है, जिससे उनकी जनसंख्या हिस्सेदारी स्थिर बनी हुई है।
ईसाई धर्म का घटता प्रभाव
हालांकि ईसाई जनसंख्या संख्या के लिहाज़ से अब भी सबसे अधिक (2020 में 2.3 अरब), लेकिन उनकी वैश्विक हिस्सेदारी घटकर 28.8% हो गई, जो 2010 में 30.6% थी। इस गिरावट का मुख्य कारण धर्म-त्याग है।
प्यू के अनुसार, प्रत्येक एक व्यक्ति जो वयस्क होने पर ईसाई बनता है, तीन लोग ईसाई धर्म छोड़ रहे हैं — खासकर यूरोप, उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में। इसकी वजह है धार्मिक विश्वासों से दूर होती आधुनिक पीढ़ी और बढ़ती सेक्युलर प्रवृत्तियाँ।
‘नास्तिक’ और धर्म-निरपेक्ष लोगों में उछाल
ईसाई धर्म के घटते प्रभाव के साथ ‘धर्म-निरपेक्ष’ (religiously unaffiliated) या नास्तिकों की संख्या में तेजी से इज़ाफा हुआ है। इस दशक में यह आंकड़ा 27 करोड़ बढ़कर 1.9 अरब हो गया, जो दुनिया की 24.2% आबादी के बराबर है।
इनमें से 78.3% 'नास्तिक' एशिया-प्रशांत क्षेत्र, विशेष रूप से चीन में रहते हैं। यह वर्ग अब दुनिया में मुस्लिमों के बाद दूसरा सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला समूह बन गया है।
--Advertisement--