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Up Kiran, Digital Desk: जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चोसोती गांव में गुरुवार को हुए विनाशकारी बादल फटने की घटना में मरने वालों की संख्या बढ़कर 60 हो गई है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के अनुसार, 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं और कई अन्य अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। इस भयावह आपदा के बाद, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमें बचाव और राहत कार्यों में जुट गई हैं। 

आपदा का भयावह मंजर

यह घटना गुरुवार दोपहर करीब 12:25 बजे हुई, जब चोसोती गांव में बादल फटा, जो मछाइल माता मंदिर की ओर जाने वाला आखिरी मोटर योग्य गांव है।अचानक आई बाढ़ और मलबा मलबे के कारण गांवों के घर, दुकानें, सड़कें और पुल बह गए, जिससे भारी तबाही हुई।इस दौरान, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के दो जवान भी इस त्रासदी का शिकार हुए।

बचाव और राहत कार्य जारी

आपदा के तुरंत बाद, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हरकत में आते हुए पड्डर में एक कंट्रोल रूम-कम-हेल्प डेस्क स्थापित किया है, जो चोसोती गांव से लगभग 15 किलोमीटर दूर है।  NDRF की टीमें, जिनमें लगभग 180 कर्मी शामिल हैं, अपने आधुनिक बचाव उपकरणों के साथ मौके पर पहुंच गई हैं और मलबे में फंसे लोगों को बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं। भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर भी बचाव कार्यों में सहायता के लिए तैयार रखे गए हैं। SDRF, पुलिस और नागरिक प्रशासन के साथ मिलकर NDRF की पांच से अधिक टीमें, जिनमें लगभग 300 सैनिक शामिल हैं, जमीनी स्तर पर काम कर रही हैं। 

लापता लोगों की तलाश और घायलों का इलाज

बचाव दल अब तक मलबे से 167 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाल चुका है, लेकिन 38 लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है।  अधिकारियों ने मृतकों की पहचान के लिए प्रभावित परिवारों के साथ फोटो साझा किए हैं, और अभी भी लगभग 69 लोग लापता बताए जा रहे हैं, जिनके परिवार प्रशासन से संपर्क कर रहे हैं।  राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस त्रासदी पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्थिति से अवगत कराया है और हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। उन्होंने खुद भी प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर बचाव कार्यों का जायजा लिया।

अन्य घटनाएँ और चेतावनियाँ

इस बीच, पुंछ जिले में भारी बारिश के कारण मेंढर नदी में भी उफान देखा गया, जिससे सड़कें जलमग्न हो गईं। इस घटना के मद्देनजर, पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने ग्लोबल वार्मिंग के मुद्दे को गंभीरता से लेने और पहाड़ी इलाकों में ऐसी आपदाओं को रोकने के लिए समाधान खोजने की अपील की है।

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