Up kiran,Digital Desk : जम्मू-कश्मीर में इन दिनों एक मेडिकल कॉलेज की एडमिशन लिस्ट को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। मुद्दा श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस का है, जहां हाल ही में जारी एमबीबीएस (MBBS) की लिस्ट पर सवाल उठ रहे हैं। सोमवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस पर चुप्पी तोड़ी और आलोचकों को करारा जवाब दिया।
मामला थोड़ा संवेदनशील है, लेकिन उमर अब्दुल्ला का कहना है कि पढ़ाई और काबिलियत को धर्म के चश्मे से देखना गलत है। आइए जानते हैं आखिर पूरा माजरा क्या है और सीएम ने क्या तर्क दिए।
क्यों मचा है इतना हंगामा?
दरअसल, विवाद तब शुरू हुआ जब कॉलेज के नए बैच की लिस्ट सामने आई। कुल 50 सीटों में से 42 सीटों पर मुस्लिम छात्रों का चयन हुआ है। इसे लेकर बीजेपी और कुछ हिंदू संगठनों ने नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि चूंकि यह संस्थान माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड से जुड़ा है, इसलिए यहां बहुसंख्यक (मुस्लिम) छात्रों की इतनी बड़ी संख्या श्रद्धालुओं की भावनाओं के खिलाफ है। विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने इसे लेकर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात भी की और हस्तक्षेप की मांग की।
उमर अब्दुल्ला का सीधा सवाल- "मेरिट या मजहब?"
सोमवार को इस विवाद पर बोलते हुए सीएम उमर अब्दुल्ला ने एडमिशन प्रक्रिया का पूरा बचाव किया। उन्होंने साफ लफ्जों में कहा कि इन बच्चों का चयन किसी 'धर्म' के आधार पर नहीं, बल्कि उनकी योग्यता (Merit) के आधार पर हुआ है।
उमर ने कहा, "जब विधानसभा ने इस यूनिवर्सिटी को बनाने के लिए कानून पास किया था, तब उसमें कहीं नहीं लिखा था कि किसी खास धर्म के बच्चे यहां नहीं पढ़ सकते। एडमिशन सिर्फ मेरिट पर होगा, धर्म पर नहीं।"
"संविधान से 'सेक्युलर' शब्द हटा दीजिए"
विरोधियों पर तंज कसते हुए उमर ने एक बड़ी बात कह दी। उन्होंने कहा कि अगर आपको योग्यता के बिना एडमिशन चाहिए, तो सुप्रीम कोर्ट जाइए। उन्होंने आगे कहा, "हमारा संविधान 'धर्मनिरपेक्ष' (Secular) है। अगर आप इस देश को धर्मनिरपेक्ष नहीं रखना चाहते, तो संविधान से यह शब्द ही हटा दीजिए।"
"क्या मुसलमानों का इलाज भी मना कर देंगे?"
सीएम ने अपने बयान में एक भावनात्मक पहलू भी जोड़ा। उन्होंने बीजेपी नेता सुनील शर्मा को नसीहत देते हुए कहा कि मेरिट पर आए बच्चों की क्या गलती है? उमर ने तल्ख लहजे में पूछा, "अगर मुस्लिम बच्चे वहां पढ़ नहीं सकते, तो फिर खुलकर कह दीजिए कि श्री माता वैष्णो देवी अस्पताल में मुसलमानों का इलाज भी नहीं किया जाएगा।"
अभी क्या चल रहा है?
फिलहाल, यह मामला तूल पकड़ चुका है। एक तरफ बीजेपी इसे हिंदुओं के हक और भावनाओं का सवाल बता रही है, तो दूसरी तरफ सरकार इसे 'टैलेंट वर्सेस पॉलिटिक्स' बताकर मेरिट के साथ खड़ी है। देखना होगा कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।
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