
Up Kiran, Digital Desk: आंध्र प्रदेश राज्य में महिला सशक्तिकरण (Women's Empowerment) के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए स्वयं सहायता समूहों (Self-Help Groups - SHGs) की महत्वपूर्ण भूमिका पर विशेष रूप से ज़ोर दिया जा रहा है। यह माना जाता है कि ये समूह ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत बनाने का एक प्रभावी माध्यम हैं।
स्वयं सहायता समूह महिलाओं के छोटे-छोटे संगठन होते हैं जो आपसी सहयोग और बचत के सिद्धांतों पर काम करते हैं। इन समूहों के माध्यम से महिलाएं थोड़ी-थोड़ी बचत करती हैं, जिसे वे आपातकालीन स्थितियों या छोटे व्यवसाय शुरू करने के लिए आपस में ऋण के तौर पर उपयोग कर सकती हैं। यह वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) का एक शक्तिशाली तरीका है जो महिलाओं को पारंपरिक ऋणदाताओं पर निर्भरता से मुक्ति दिलाता है।
वित्तीय स्वतंत्रता के अलावा, एसएचजी महिलाओं के आत्मविश्वास और सामाजिक स्थिति को भी बढ़ाते हैं। समूह की बैठकों में भाग लेने से महिलाएं एक-दूसरे के अनुभव साझा करती हैं, सामूहिक रूप से समस्याओं का समाधान ढूंढती हैं, और अपनी आवाज़ उठाना सीखती हैं। यह उन्हें समुदाय और परिवार के भीतर निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने के लिए सशक्त बनाता है।
राज्य सरकार और विभिन्न विकास एजेंसियाँ स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षित करने, उन्हें वित्तीय संस्थानों से जोड़ने और उनके उत्पादों के विपणन (Marketing) में मदद करने के लिए कई योजनाएँ और कार्यक्रम चला रही हैं। इस समर्थन से एसएचजी और अधिक टिकाऊ बनते हैं और महिलाओं के लिए आजीविका के नए अवसर खुलते हैं।
स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिला सशक्तिकरण पर यह निरंतर बल आंध्र प्रदेश के समग्र विकास के लिए एक सकारात्मक संकेत है। यह स्वीकार करता है कि महिलाओं का सशक्तिकरण न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन को बेहतर बनाता है, बल्कि पूरे समाज और अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करता है।
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