Up Kiran, Digital Desk: हमारे देश में गाय को सिर्फ एक पशु नहीं, बल्कि 'माता' का दर्जा दिया गया है। गाय की सेवा और पूजा हमारी संस्कृति का एक अहम हिस्सा रही है। इसी भावना को समर्पित है गोपाष्टमी का त्योहार, जो हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान कृष्ण, गौ माता और प्रकृति के प्रति हमारे सम्मान को दर्शाता है।
चलिए, जानते हैं कि साल 2025 में गोपाष्टमी कब है और आप कैसे सरल तरीके से इस दिन पूजा करके पुण्य कमा सकते हैं।
गोपाष्टमी 2025 की तारीख और शुभ मुहूर्त
इस साल गोपाष्टमी का पर्व 29 अक्टूबर, 2025, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा के लिए कुछ खास मुहूर्त बन रहे हैं:
अष्टमी तिथि की शुरुआत: 29 अक्टूबर, सुबह 04:47 बजे से
अष्टमी तिथि का समापन: 30 अक्टूबर, सुबह 06:48 बजे तक
पूजा का अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:42 बजे से दोपहर 12:27 बजे तक
इस साल की गोपाष्टमी और भी खास है क्योंकि इस दिन रवि योग बन रहा है, जो सुबह 06:31 से लेकर दोपहर 01:16 तक रहेगा। माना जाता है कि रवि योग में की गई पूजा और शुभ कार्यों का फल कई गुना बढ़ जाता है।
क्यों मनाते हैं गोपाष्टमी?इसके पीछे भगवान कृष्ण की एक बहुत ही प्यारी लीला जुड़ी है। मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान कृष्ण ने पहली बार गौचारण (गायों को चराने) की शुरुआत की थी। इससे पहले वे केवल बछड़ों को ही चराते थे। इस दिन इंद्र देव ने आकर उनका अभिषेक किया और उन्हें 'गोविंद' नाम दिया। तब से यह दिन गाय और गोविंद की पूजा के लिए समर्पित हो गया। यह पर्व हमें सिखाता है कि प्रकृति और पशुओं की देखभाल करना कितना जरूरी है।
कैसे करें घर पर सरल पूजा? (पूजा विधि)
गोपाष्टमी की पूजा बहुत ही सरल होती है और इसे कोई भी कर सकता है:
सुबह की तैयारी: सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
गौ माता को सजाएं: अगर आपके घर के आसपास गाय है, तो उसे स्नान कराएं। उसके सींगों पर हल्दी लगाएं, रोली-चंदन का तिलक करें और फूलों की माला पहनाएं।
भोग अर्पित करें: गाय और उसके बछड़े को अपने हाथों से बना हुआ भोग खिलाएं। इसके लिए आप हरा चारा, गुड़ या घर पर बनी रोटी दे सकते हैं।
आरती और परिक्रमा: इसके बाद गौ माता की धूप-दीप से आरती करें। आरती के बाद गाय की सात बार परिक्रमा करें। अगर परिक्रमा करना संभव न हो, तो अपने स्थान पर ही सात बार घूम सकते हैं।
गोपियों का ध्यान: पूजा के समय भगवान कृष्ण के साथ उनकी गोपियों का भी ध्यान करें।
दान का महत्व: इस दिन गौशाला में चारा या धन का दान करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है।
अगर आपके लिए गाय की पूजा करना संभव नहीं है, तो आप घर के मंदिर में ही भगवान कृष्ण और गाय की मूर्ति रखकर उनकी पूजा कर सकते हैं।
यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि गाय सिर्फ दूध देने वाला पशु नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और आस्था का प्रतीक है। इस गोपाष्टमी पर गाय की सेवा करके आप भी भगवान कृष्ण का आशीर्वाद पा सकते हैं।
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