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धर्म डेस्क। सनातन धर्म में पर्व एवं उत्सव का विशेष महत्व है। सच कहा जाय तो सनातनी उत्सवजीवी होते हैं। यहां हर दिन त्यौहार मनाया जाता है। इस समय सावन का पवित्र महीना चल रहा है। सावन का महीना पर्वों और आराधना का माना जाता है। सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। नाग पंचमी के दिन नाग देवता की विधि विधान से पूजा की जाती है। नाग देवता को दूध पिलाया जाता है। ऐसा करने से जातक को नाग देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।  

हिंदू पंचांग के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 9 अगस्त को रात्रि 12:36 पर शुरू होगी और 10 अगस्त रात्रि 3:14 पर समापन होगा। इस तरह उदय तिथि के मुताबिक नाग पंचमी का पर्व 9 अगस्त को मनाया जाएगा। नाग पंचमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त 9 अगस्त को सुबह 5:45 से लेकर 8:27 तक रहेगा। इस दौरान नाग देवता की पूजा आराधना करने से जीवन सुखमय होगा।

शास्त्रों के अनुसार नाग पंचमी के दिन घर के मंदिर की साफ सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर देवी देवताओं का ध्यान करना चाहिए। साफ वस्त्र धारण कर सूर्य देव को जल अर्पित करें। एक साफ चौकी पर नाग देवता की तस्वीर स्थापित कर विधि विधान पूर्वक पूजा करें। नाग देवता को रोली, चंदन, चावल एवं दूध का भोग लगाएं। अंत में देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें। इससे जीवन में सुख शांति की प्राप्ति होगी।

नाग पंचमी के दिन भगवान शिव शंभू की पूजा बेहद शुभ मानी जाती है। इस दिन महादेव को पुष्प धतूरा फल और दूध अर्पित करें। नाग और सर्प भी भगवान् भोलेनाथ के गण माने जाते हैं, इसलिए नाग पूजा से शिव जी प्रसन्न होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार नागपंचमी पर भगवान शिव और नाग की पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।  
 

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