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Up kiran,Digital Desk : प्रयागराज में आज सियासत की एक ऐसी तस्वीर दिखी, जो आने वाले दिनों की पूरी कहानी बयां कर रही है। एक तरफ समाजवादी पार्टी से निकाली गईं विधायक पूजा पाल थीं, जो उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के पैर छूकर आशीर्वाद ले रही थीं, और दूसरी तरफ वही केशव मौर्य थे, जो सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर तीखे हमले कर रहे थे।

सीन 1: आशीर्वाद और आभार

प्रयागराज के सर्किट हाउस का माहौल उस वक्त सियासी सरगर्मियों से भर गया, जब कौशाम्बी के चायल से विधायक पूजा पाल ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात की। यह कोई आम मुलाकात नहीं थी। पूजा पाल ने झुककर केशव मौर्य के पैर छुए, और डिप्टी सीएम ने भी सिर पर हाथ रखकर उन्हें आशीर्वाद दिया।

जब पत्रकारों ने उनसे इस बारे में पूछा तो पूजा पाल के दिल की बात जुबान पर आ गई।
उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य मेरे लिए अभिभावक (Guardian) की तरह हैं। मेरे पति राजू पाल की हत्या के मामले में सालों तक मुझे न्याय के लिए भटकना पड़ा, लेकिन योगी सरकार ने ही मुझे न्याय दिलाया।"

पूजा पाल ने साफ किया कि इसी अहसान के बदले उन्होंने राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के लिए क्रॉस वोटिंग की थी और फूलपुर से लेकर बिहार तक बीजेपी उम्मीदवारों के लिए प्रचार भी किया था।

तो बीजेपी कब ज्वाइन कर रही हैं?
इस सवाल पर उन्होंने बड़ी समझदारी से जवाब दिया। उन्होंने कहा, "मुझे जो आदेश मिलता है, मैं वही करती हूँ। इस पर आखिरी फैसला बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व ही लेगा।" उनके इस जवाब से साफ है कि वह मन से बीजेपी में आ चुकी हैं, बस আনুষ্ঠানিক ऐलान बाकी है।

सीन 2: अखिलेश पर तीखा हमला

पूजा पाल के जाने के बाद जब केशव मौर्य मीडिया से मिले, तो वे पूरे हमलावर मूड में दिखे। उनका सीधा निशाना थे अखिलेश यादव।

अखिलेश के आरक्षण और संविधान बदलने वाले बयान पर केशव मौर्य ने तंज कसते हुए कहा:
"बिहार चुनाव में हार के बाद अखिलेश जी अस्वस्थ हो गए हैं, उनका मानसिक संतुलन भी बिगड़ गया है। मैं साफ कर देना चाहता हूँ, न आरक्षण खत्म होगा, न संविधान कोई खत्म कर पाएगा।"

उन्होंने आगे कहा, "अखिलेश 2027 में सत्ता के सपने देख रहे थे, लेकिन अब 2047 में भी उनके आने की कोई संभावना नहीं है।"

केशव मौर्य ने वोटर लिस्ट पर भी बड़ा बयान दिया। उन्होंने BLOs (बूथ लेवल ऑफिसर) को नसीहत देते हुए कहा कि ममता, राहुल और अखिलेश के चक्कर में न पड़ें और ईमानदारी से काम करें। उन्होंने आरोप लगाया कि तुष्टीकरण की राजनीति करने वालों ने वोटर लिस्ट में "घुसपैठियों" के नाम डलवाए हैं, जिन्हें हटाया जाना चाहिए।

कुल मिलाकर, प्रयागराज का यह एक दिन यूपी की राजनीति की पूरी झांकी पेश कर गया - जहाँ एक तरफ नए समीकरण बन रहे हैं, तो दूसरी तरफ पुरानी राजनीतिक लड़ाई और भी तीखी होती जा रही है।