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Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश सरकार ने उन हज़ारों परिवारों के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है, जो दशकों से अपने अधिकारों की प्रतीक्षा कर रहे थे। पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से विस्थापित होकर भारत आए ये शरणार्थी परिवार, जो पिछले 62 वर्षों से पीलीभीत जिले के विभिन्न गांवों में बसे हुए हैं, अब जल्द ही उस भूमि के कानूनी स्वामी बनेंगे, जिस पर वे वर्षों से जीवन गुजार रहे हैं।

एक लंबे इंतज़ार का अंत

साल 1960 में इन शरणार्थी परिवारों को सरकार द्वारा पीलीभीत के कलीनगर और पूरनपुर तहसीलों में स्थित 25 गांवों में बसाया गया था। उन्हें आवास और कृषि के लिए ज़मीन तो मिली, लेकिन मालिकाना हक़ नहीं दिया गया। इस कारण ये परिवार विभिन्न सरकारी योजनाओं और सामाजिक सुरक्षा के लाभों से वंचित रह गए। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर यह ऐतिहासिक अन्याय समाप्त होने जा रहा है।

मुख्यमंत्री के निर्देश से खुला अधिकार का रास्ता

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हाल ही में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया कि इन शरणार्थी परिवारों को ज़मीन का मालिकाना हक़ दिया जाएगा। मुख्यमंत्री द्वारा संबंधित विभागों को इस संबंध में निर्देश भी जारी किए जा चुके हैं। अब केवल प्रशासनिक औपचारिकताएं शेष हैं, जिसके बाद इन परिवारों को उनके अधिकारिक दस्तावेज़ सौंपे जाएंगे।

पीलीभीत के ज़िला अधिकारी ज्ञानेंद्र सिंह ने जानकारी दी कि जैसे ही अंतिम स्वीकृति मिलती है, ज़मीन हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार की प्राथमिकता है कि सभी पात्र शरणार्थी परिवारों को शीघ्र उनके अधिकार प्रदान किए जाएं।

सत्यापन और दस्तावेज़ीकरण तेज़ी से पूरा हो रहा

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक 2,196 में से 1,466 शरणार्थी परिवारों का सत्यापन पूरा कर लिया गया है। उनके दस्तावेज़ राज्य सरकार को भेजे जा चुके हैं और बहुत जल्द उन्हें मालिकाना हक़ से संबंधित प्रमाण-पत्र मिलना शुरू हो जाएगा।

यह पहल विशेष रूप से टाटरगंज, बामनपुर, बैला, सिद्ध नगर, शास्त्री नगर और नेहरू नगर जैसे गांवों में बसे शरणार्थी परिवारों के लिए जीवन में स्थायित्व और सम्मान का आधार बनेगी।

स्थानीय नेतृत्व और समुदाय की प्रतिक्रिया

इस निर्णय को लेकर स्थानीय राजनीतिक और सामाजिक नेताओं में खासा उत्साह देखा गया। पीलीभीत के प्रभारी मंत्री बलदेव सिंह औलख ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार जताते हुए इसे “एक न्यायपूर्ण कदम” करार दिया। वहीं भाजपा जिलाध्यक्ष संजीव प्रताप सिंह और पूर्व जिला पंचायत सदस्य मंजीत सिंह ने इस फैसले को “ऐतिहासिक सुधार” और “संघर्षरत शरणार्थियों को सम्मान” की संज्ञा दी।

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