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Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री और एनडीए गठबंधन के भीतर सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने बिहार के चुनावी नतीजों को लेकर एक सनसनीखेज दावा किया है.

राजभर ने सोमवार को बेबाकी से कहा कि बिहार में इस बार एनडीए सत्ता से बाहर होने जा रहा है. उनका मानना है कि वहाँ राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मुखिया लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव के नेतृत्व में सरकार बनने वाली है.

राजभर के दावे का आधार: ज़्यादा मतदान का 'राजद कनेक्शन'

ओम प्रकाश राजभर ने अपने दावे के पीछे एक दिलचस्प तर्क दिया है. उन्होंने कहा कि बिहार का इतिहास यह बताता है कि जब भी मतदान प्रतिशत ज़्यादा रहा है, राजद की सरकार बनी है.

राजभर ने कहा "मैंने एक दिन गूगल पर देखा" कि बिहार में अधिक वोटिंग हमेशा राजद के पक्ष में गई है. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस बार भी मतदान 60 प्रतिशत के ऊपर हुआ है इसलिए राजद की सरकार बननी चाहिए.

बिहार का सियासी 'घाचपेच'

राजभर ने बिहार की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को "बहुत घाचपेच" वाला बताया है. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी राजद के खिलाफ लड़ रही है और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) भी सभी दलों के विरोध में खड़े हैं.

उनका कहना है कि जनता का मन मिजाज कोई भी नेता या विश्लेषक भांप नहीं पा रहा है. वोटर चुपचाप है और नेता केवल बयानबाज़ी कर रहे हैं.

मतदान की बढ़ी हुई संख्या और सत्ता का गणित

बिहार में अभी दो चरणों में मतदान होना बाकी है. पहले चरण में लगभग 65 प्रतिशत वोटिंग हुई है. ध्यान देने वाली बात यह है कि बिहार में किसी भी विधानसभा या लोकसभा चुनाव में अब तक इतना उच्च मतदान कभी नहीं हुआ था. अक्सर ज़्यादा मतदान को सत्ता विरोधी लहर के तौर पर भी देखा जाता रहा है.

राजभर के ऐतिहासिक दावे को अगर खंगालें तो वोटिंग में बढ़ोतरी अक्सर राजद के लिए सत्ता का मार्ग प्रशस्त करती रही है:

1990: लालू यादव पहली बार सत्ता में आए. मतदान प्रतिशत 62.04% था जो 60% से अधिक था.

1995: उनकी सत्ता बरकरार रही. वोटिंग 61.79% हुई थी.

2000: मतदान प्रतिशत और बढ़ा (62.57%) और लालू की सत्ता में वापसी हुई.

हालांकि, अभी यह सिर्फ पहले चरण की वोटिंग का आँकड़ा है. 11 नवंबर के मतदान के बाद ही बिहार की चुनावी तस्वीर पूरी तरह साफ हो पाएगी.