मणिपुर में हिंसा रोकने के लिए लाख कोशिशें सरकार कर रही है। मगर सभी प्रयासों के बावजूद मणिपुर में हिंसा कम नहीं हो रही। आलम यह है कि खुद गृहमंत्री अमित शाह इसे रोकने के लिए बैठक कर चुके हैं और मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह ने भी हाल ही में दिल्ली आकर अमित शाह से इस संबंध में मुलाकात की थी। केंद्र सरकार तमाम केंद्रीय सुरक्षा बलों को यहां तैनात कर चुकी है और राज्य की पुलिस भी पूरी तरह मुस्तैद है।
केंद्रीय सुरक्षा बल और पुलिस मिलकर ऑपरेशन चला रहे हैं, मगर फिर भी मणिपुर में 3 मई से जो हिंसा शुरू हुई वह अभी तक जारी है। मणिपुर में मूलतः मैतेयी, कूकी और नगा जनजाति रहती हैं। हिंसा में तीनों ही जनजाति शामिल हैं। मगर मूलतः मैतेयी और कूकी जनजाति के बीच संघर्ष माना जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दोनों ही जनजाति के लोग एक दूसरे पर हमला कर रहे हैं। अब सवाल उठता है कि आखिर ये लोग लगातार एक दूसरे पर हमला कर रहे हैं, मगर बिना आधुनिक हथियारों और बिना ज्यादा संसाधनों वाले क्षेत्र के लोग साजो सामान से लैस पुलिस और सेंट्रल फोर्स के कंट्रोल में क्यों नहीं आ रहे? दरअसल, रिपोर्ट्स के मुताबिक मणिपुर में हिंसा फैलाने का सबसे बड़ा हथियार है चीन की बाइक (chinese motorcycle)।
चीन की बाइक यहां अवैध तरीके से बेची जाती है। यह बाइक भारत में बैन है। अवैध तरीके से बिकने के कारण न तो इस पर कोई नंबर प्लेट होती है, न ही खरीदने वाले को किसी कागज की जरूरत पड़ती है। कम रखरखाव वाली यह बाइक आसानी से ₹25,000 में मिल जाती है। अन्य भारतीय बाइक की कीमत की तुलना में यह सिर्फ एक चौथाई कीमत की पड़ती है। बिना नंबर वाली इन बाइक्स को पुलिस जब्त कर ले तो बहुत ज्यादा नुकसान नहीं होता। मणिपुर हिंसा में जब्त किए गए टू वीलर्स में 50 पर्सेंट से ज्यादा चीनी बाइक ही हैं।
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