
कलश स्थापना और मां शैलपुत्री के पूजन के साथ आज शारदीय नवरात्रि (Navratri) की शुरूआत हो गई है। लोग नौ दिनों तक कलश स्थापना करके मां दुर्गा का पूजन करते हैं। ये नौ दिन व्रत, संयम, मंत्र जाप, हवन, पूजन के लिए विशेष माने जाते हैं। नवरात्रि में कलश स्थापना के साथ अखंड ज्योति जलाने का भी विधान है।
अखंड ज्योति से घर के सभी दुख, दारिद्र का नाश होता है
मान्यता है कि नौ दिनों तक मां के दरबार में अखंड ज्योति जलाने से घर के सभी दुख, दारिद्र का नाश होता है तथा सुख और समृद्धि का आगमन होता है। लेकिन मां के दरबार में अखंड ज्योति जलाने के कुछ नियम भी हैं, जिनका ध्यान हमें जरूर रखना चाहिए….
1- सबसे पहले जमीन पर एक लकड़ी की चौकी या पटरा रख कर, उस पर लाल रंग का आसन बिछाएं। अखंड ज्योति को कभी भी जमीन पर नहीं जलाना चाहिए। अखंड ज्योति को उस पर स्थापित करें।
2- नौ दिन तक अखंड ज्योति बिना बुझे जलाने के लिए रूई की मोटी और लंबी बत्ती का प्रयोग करें।
3- गाय के शुद्ध घी से नवरात्रि में अखंड ज्योति को जलाना शुभ माना जाता है, लेकिन तिल के तेल से भी अखंड ज्योति जलाई जा सकती है।
4- विधि पूर्वक अखंड ज्योति को स्थापित कर के उस पर रोली से टीका लगाएं और उन्हें फूल और अक्षत अर्पित करें।
5- Navratri अखंड ज्योति की स्थापना करने के बाद घर को नौ दिनों तक खाली न छोड़े। एक न एक सदस्य घर में जरूर मौजूद रहे।
6- समय – समय पर अखंड ज्योति में घी या तेल जरूरत के हिसाब से डालते रहना चाहिए।
7- अखंड ज्योति (Navratri) को कभी भी गंदे हाथ से न छुएं, नहाने के बाद ही अखंड ज्योति में घी या तेल डालें।
8- Akhand Jyoti को पीठ न दिखाएं, पूजा करते समय अपना मुहं अखंड ज्योति की ओर ही रखें।
9- नवरात्रि (Navratri) की समाप्ति पर अखंड ज्योति को बुझाने की भूल न करें, उसे स्वयं ठंड़ा होने दें।
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