नयी दिल्ली। अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडेन ने शपथ ले ली है. शपथ लेने के बाद उन्होंने सत्ता भी संभाल ली है. बाइडेन ने सीधे ओवल ऑफिस में कामकाज संभाला और एक्शन में आ गए.
बाइडेन ने सत्ता संभालते ही पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कई फैसलों को पलट दिया है. जो बाइडेन ने राष्ट्रपति के रूप में कई ऐसे फैसलों पर साइन कर दिए हैं, जिसकी अमेरिका में लंबे वक्त से डिमांड चल रही थी और चुनावी कैंपेन में बाइडेन ने वादा भी किया था.
• कोरोना महामारी को कंट्रोल करने के लिए फैसला.
• आम लोगों को बड़े स्तर पर आर्थिक मदद देने का ऐलान.
• क्लाइमेट चेंज के मसले पर अमेरिका की वापसी.
• नस्लभेद को खत्म करने की ओर कदम.
• विश्व स्वास्थ्य संगठन से हटने के फैसले को रोका.
• बॉर्डर पर दीवार बनाने के फैसले को रोका, फंडिंग भी रोक दी.
• ट्रंप प्रशासन द्वारा जिन मुस्लिम देशों में बैन लगाया था, उसे वापस लिया.
• स्टूडेंट लोन की किस्त वापसी को सितंबर तक टाला गया.
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने लंबे वक्त तक क्लाइमेट चेंज के मसले से मुंह फेरा. अमेरिका ने पेरिस एग्रीमेंट से अपना नाम भी वापस ले लिया था, लेकिन जो बाइडेन ने ठीक इसका उल्टा किया. उन्होंने कहा था कि अमेरिका पेरिस एग्रीमेंट में वापस लौटेगा, सत्ता संभालते ही उन्होंने क्लाइमेट चेंज की ओर बड़ा कदम बढ़ा दिया है.
आपको बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने कोरोना संकट के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन से अपना नाता तोड़ लिया था, जिसके कारण उनकी काफी आलोचना हुई थी. जो बाइडेन ने चुनाव में वादा किया था कि वो शुरुआती फैसला WHO में वापस आने का ही करेंगे. संयुक्त राष्ट्र की ओर से अमेरिका के इस फैसले का स्वागत किया गया है.
व्हाइट हाउस की नई प्रेस सेक्रेटरी जेन साकी के मुताबिक, कार्यकाल के पहले दिन सिर्फ कुछ ही फैसले लिए गए हैं. लेकिन आने वाले दिनों में लगातार विस्तार से फैसलों को लिया जाएगा, ताकि अमेरिका को वापस पटरी पर लाया जा सके.
इन बड़े निर्णयों के अलावा एक खास बात और हुई जो कि अमेरिका की विदेश नीति में बदलाव के संकेत देती है. इजरायल में मौजूद अमेरिकी दूतावास ने अपने ट्विटर हैंडल के नाम को बदल दिया है. पहले ट्विटर हैंडल पर नाम था ‘इजरायल में अमेरिकी राजदूत’, जिसे अब बदलकर कर ‘इजरायल, गाजा और वेस्ट बैंक में अमेरिकी राजदूत’. साफ है कि ट्रंप प्रशासन ने पहले इन्हें इजरायली स्थान की तरह मान्यता दी थी, लेकिन अब निजाम बदला है तो अंजाम भी बदलता दिख रहा है.