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Up Kiran, Digital Desk: क्या आपने कभी सोचा है कि जब एक पार्टी के भीतर गुटबाजी (infighting) होती है, तो इसका असर कितना गहरा पड़ता है? कर्नाटक कांग्रेस (Karnataka Congress) में एक बार फिर अंदरूनी कलह (infighting) तेज़ हो गई है. इस बार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश जर्किहोली (Ramesh Jarkiholi) ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने साफ कहा है कि इस महत्वपूर्ण पद पर 'हाईकमान' (High Command) ही अंतिम फैसला लेगा. यह बयान ऐसे समय में आया है जब कर्नाटक में कांग्रेस सरकार पहले से ही मुख्यमंत्री सिद्दरमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार (DK Shivakumar) के बीच संभावित मतभेदों को लेकर चर्चा में है.

कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष पद पर क्यों छिड़ी बहस?

रमेश जर्किहोली के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं. आमतौर पर, किसी भी प्रदेश इकाई में नेतृत्व को लेकर अटकलें तब तेज़ी पकड़ती हैं जब पार्टी के भीतर असंतोष या नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठ रही होती है.

  1. असंतोष: हो सकता है कि पार्टी के एक वर्ग को मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष के कामकाज या रणनीति से कुछ दिक्कतें हों.
  2. नेतृत्व परिवर्तन की उम्मीद: कुछ नेता अपने लिए या अपने समर्थित व्यक्ति के लिए अध्यक्ष पद पर दावा कर रहे हों.
  3. डी.के. शिवकुमार की भूमिका: चूंकि डी.के. शिवकुमार अभी उपमुख्यमंत्री भी हैं और प्रदेश अध्यक्ष भी, तो यह बहस उनके बोझ को कम करने या किसी और को अध्यक्ष बनाने की दिशा में भी हो सकती है.
  4. चुनावों की तैयारी: आगामी चुनावों के लिए एक नया और सशक्त नेतृत्व तैयार करने के लिए भी यह चर्चा महत्वपूर्ण हो सकती है.

जर्किहोली का 'हाईकमान' का ज़िक्र करना दर्शाता है कि प्रदेश स्तर पर इस मुद्दे पर कोई सर्वसम्मत राय नहीं बन पा रही है, और अब गेंद दिल्ली दरबार के पाले में है.

हाईकमान का फैसला, क्या बदल देगी कर्नाटक की राजनीति?

कर्नाटक कांग्रेस, जिसकी कमान मौजूदा समय में डी.के. शिवकुमार के पास है, में ऐसे बयानों से पार्टी के भीतर का माहौल और गरमा जाता है. अगर हाईकमान इस पद पर किसी और को नियुक्त करने का फैसला करता है, तो इसके कई परिणाम हो सकते हैं:

  1. डी.के. शिवकुमार का प्रभाव: क्या इससे डी.के. शिवकुमार के प्रभाव में कमी आएगी, या उनका पूरा फोकस उपमुख्यमंत्री के तौर पर सरकारी कामकाज पर होगा?
  2. गुटबाजी का नया दौर: कोई भी नया चेहरा आने पर पार्टी के भीतर गुटबाजी और बढ़ सकती है या नए समीकरण बन सकते हैं.
  3. भविष्य की रणनीति: अध्यक्ष पद पर बदलाव पार्टी की भविष्य की रणनीति और चुनावों के लिए उसके दृष्टिकोण को भी बदल सकता है.

यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस हाईकमान इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या फैसला लेता है, और क्या इससे कर्नाटक कांग्रेस के भीतर की कलह समाप्त होती है या यह एक नए विवाद को जन्म देती है.