हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष को पड़ने वाली एकादशी को अपरा एकादशी भी कहते हैं। इस साल अपरा एकादशी का व्रत 26 मई दिन गुरुवार को रखा जायेगा। इस एकादशी को अचला एकादशी भी कहते हैं। धार्मिक मान्यता है कि एकादशी व्रत और विधि-विधान से पूजा करने से अपार लाभ मिलता है।
पंचांग में बताया गया है कि अपरा एकादशी के दिन आयुष्मान योग बन रहा है। अपरा एकादशी के दिन आयुष्मान रात को 10 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। शास्त्रों में आयुष्मान योग को बेहद शुभ योग माना गया है। मान्यता है कि ये योग शुभ कार्यों को करने के लिए काफी अच्छा होता है। इस योग का अर्थ दीर्घजीवी होता है। इस योग में पूजन से जातक को अच्छा स्वास्थ्य व दीर्घायु की प्राप्ति होती है और भक्त हमेशा ऊर्जावान बना रहता है। ज्योतिषी बताते है कि अपरा एकादशी के दिन चंद्रमा मीन राशि में विराजमान होंगे जबकि सूर्य वृषभ राशि में गौर करेंगे।
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि का शुभारंभ 25 मई दिन बुधवार को सुबह 10:32 से हो जायेगा जबकि इसका समापन: 26 मई दिन गुरुवार की सुबह 10:54 पर होगा।
अपरा /अचला एकादशी व्रत 26 मई दिन गुरुवार को रखा जायेगा और व्रत का पारण 27 मई दिन शुक्रवार को प्रातः काल 5:30 से 8:05 तक किया जायेगा।
अचला /अपरा एकादशी के दिन व्रती को प्रातःकाल स्नान करके पीले वस्त्र पहनकर, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को पीले आसन पर स्थापित करना चाहिए। इसके बाद भगवान को फूल, अक्षत चढ़ाकर, धूप, दीप, अगरबत्ती चढ़ाएं। अब सच्चे मन और श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें तथा व्रत कथा सुनकर आरती करके पूजा का समापन करें।