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पठानकोट।। भारत को स्वतंत्र हुए 75 साल बीत चुके हैं और इन 75 सालों में राजनीतिक पार्टियां भारत में विकास के अलग-अलग दावे कर रही हैं मगर इन सबके बावजूद कुछ इलाके ऐसे हैं जहां के लोग आज भी नर्किय जीवन जीने को मजबूर हैं। पठानकोट जिले के सीमावर्ती गांव बामियाल को जाने वाली सड़क सरकारों के विकास के दावों की पोल खोल रही है। इस सीमावर्ती इलाके में रहने वाले लोगों ने कहा कि यह इलाका आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।

गांव के लोगों ने बताया कि इस सीमावर्ती इलाके में जाने से हालात इतने खराब हैं कि यहां आए दिन कोई न कोई हादसा हो जाता है। कहा गया है कि पठानकोट शहर से नरोट जयमल सिंह जान या तारागढ़ से भोआ गांव तक हर जगह सड़कें टूटी हुई हैं। उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों को इलाज के लिए शहर जाना पड़ता है, अगर किसी मरीज को आपात स्थिति में पठानकोट ले जाना पड़े तो इन सड़कों की हालत के कारण उस मरीज की रास्ते में ही मौत हो जाती है।

एक गांव निवासी अमित कुमार ने बताया कि वह इस काम के सिलसिले में इन गांवों में जाता रहता है। सड़कों के पूरी तरह से टूट जाने के कारण यातायात दिन-ब-दिन बिगड़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि कई राजनीतिक दल आए और गए मगर इस सीमा क्षेत्र पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। उन्होंने कहा कि इस सीमावर्ती इलाके में गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई बार ऐसा हुआ है कि महिला ने रास्ते में ही बच्चे को जन्म दे दिया। उन्होंने सरकारों से इस पर खास ख्याल रखने की अपील की है।

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